नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर राजधानी में 13 साल से राजनीतिक दलों को चौंकाने और सभी वर्गों में पैठ जमाने वाले आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का अपने गृह राज्य हरियाणा की सीमा से सटी सीटों पर भी जादू नहीं चला।
राजधानी में 13 साल से राजनीतिक दलों को चौंकाने और सभी वर्गों में पैठ जमाने वाले आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का अपने गृह राज्य हरियाणा की सीमा से सटी सीटों पर भी जादू नहीं चला। हरियाणा सीमा से सटीं 11 सीटों में से आठ पर भाजपा ने बाजी मारी, जबकि तीन पर आप जीत सकी, जबकि पिछले दो चुनावों में इन सीटों पर आप को बड़ी सफलता मिली थी।
हरियाणा सीमा से नरेला, बुराड़ी, बवाना, मुंडका, मटियाला, नजफगढ़, बिजवासन, महरौली, छतरपुर, तुगलकाबाद व बदरपुर सीटें हैं। इस बार चुनाव में इनमें से नरेला, बवाना, मुंडका, मटियाला, नजफगढ़, बिजवासन, महरौली व छतरपुर में भाजपा ने जीत हासिल की, जबकि बुराड़ी, तुगलकाबाद व बदरपुर में आप जीती। वर्ष 2015 के चुनाव में इन 11 सीटों पर आप ने भाजपा व कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था। उसने सभी 11 सीटें जीती थीं, जबकि वर्ष 2020 में इन 11 सीटों में से 10 सीटों पर आप ने बाजी मारी थी। बदरपुर में भाजपा ने उसे हरा दिया था, लेकिन इस बार बदरपुर में आप ने भाजपा को हरा दिया। ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण मतदाता आम तौर पर प्रभावशाली और प्रसिद्ध उम्मीदवार को वोट देते हैं या फिर उस दल के पक्ष में मत डालते हैं जिसका बड़ा नेता उनके बीच का हो, लेकिन गत 10 वर्ष के दौरान आप ग्रामीण क्षेत्र के किसी नेता को ग्रामीणों के बीच सक्रिय नहीं कर सकी।