न तुम देख पाये ना हम देख पाये
ज़माने के हम ना क़दम देख पाये
बहुत देखी दुनिया बहुत देखे मेले
ऐ दुनिया तुझे कितना कम देख पाये
चले तो थे हम भी भरम लेके क्या-क्या
जो गुज़रे तो वो ना भरम देख पाये
मेहरबानियां यूं तो तेरी बहुत हैं
ये है ग़म न अहले करम देख पाये
जनम भी कई होते हैं एक जनम में
जनम इक भी अपना न हम देख पाये
बदल दे हक़ीक़त की तस्वीर को भी
अभी तुम क़लम का न दम देख पाये
ये दुनिया ये है ज़िंदगी बस उसी की
तेरी ज़ुल्फ का पेचो ख़म देख पाये
सुखाये समय ने थे आंखों में आंसू
तुझे फिर न हम चश्मे नम देख पाये
कि जिसमें मना हो बहाना भी आंसू
कभी कोई ऐसा न ग़म देख पाये
जिसे हमने माना सनम ज़िंदगी का
कभी फिर न उसमें सनम देख पाये
कभी तो नज़र भर तुझे देख लेते
तुझे हम न तेरी क़सम देख पाये