"अरे, अब तो ये लोग भी बड़ी, हाई-फ़ाई सोसाइटिज़ में फ़्लैट लेने लगे हैं l" श्रीमती प ने कहा l
"कौन लोग ?" मैंने पूछा l
अरे, यही,, छोटे लोग! " अपने मुँह को मेरे कान के पास लाकर , आवाज़ दबाकर श्रीमती प ने कहा, "ये जो भंगी-चमार जात के लोग हैं l हमारी सोसाइटी में भी हैं एक-दो फ़ैमिलिज़ तो l"
"अच्छा है कि वो इस लायक हो रहे हैं l" मैंने कहा, और पूछा, "वैसे कुल कितने परिवार रहते हैं आपकी सोसाइटी में,, कुल कितने फ़्लैट्स की सोसाइटी है, आपकी ?"
"हमारी सोसाइटी में कुल सात सौ फ़्लैट्स हैं, जिसमें छ: सौ नब्बे फ़्लैट्स ऑक्युपाइड हैं, जिनमें परिवार रहते हैं l"
"चलिये, कम से कम एक-दो परिवार तो बाकी छ:सौ नब्बे के समकक्ष पहुँचे "
"भूल जाइये, जी l ये लोग हमारे बराबर कभी भी नहीं पहुँच सकते l हमारी रगों में आभिजात्य भरा है l" कहते हुए श्रीमती प दूसरी दिशा की ओर चल पड़ीं l