वाशिंगटन। ब्लेयर हाउस के बाहर विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि डॉ. यूनुस आतंकवादियों की मदद से सत्ता पर कब्जा करने वाले एक अवैध व्यक्ति हैं। हमारे संविधान के अनुसार, शेख हसीना अभी भी बांग्लादेश की पीएम हैं।
उन्होंने आतंकवादियों की मदद से उन्हें (उनके पद से) हटा दिया। लेकिन अगली बार, हम चुनाव चाहते हैं। लोग शेख हसीना को फिर से चुनेंगे।
अवामी लीग और उसके सहयोगी संगठनों के प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने गुरुवार को वाशिंगटन में ब्लेयर हाउस के बाहर बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। । प्रदर्शनकारियों ने यूनुस पद छोड़ो, हमें न्याय चाहिए, हमें शेख हसीना चाहिए... का नारा लगाया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय अमेरिका दौरे के दौरान ब्लेयर हाउस में ही ठहरे हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा, डॉ. यूनुस आतंकवादियों की मदद से सत्ता पर कब्जा करने वाले एक अवैध व्यक्ति हैं। हमारे संविधान के अनुसार, शेख हसीना अभी भी बांग्लादेश की पीएम हैं। उन्होंने आतंकवादियों की मदद से उन्हें (उनके पद से) हटा दिया। लेकिन अगली बार, हम चुनाव चाहते हैं। लोग शेख हसीना को फिर से चुनेंगे।
ब्लेयर हाउस में ठहरे हैं मोदी
भारतीय समय के अनुसार बृहस्पतिवार तड़के (अमेरिकी समय के अनुसार बुधवार की शाम) अमेरिका पहुंचने के बाद पीएम मोदी वाशिंगटन में ब्लेयर हाउस पहुंचे। यह अमेरिकी सरकार का प्रसिद्ध अतिथि गृह है जो व्हाइट हाउस से बेहद करीब है और यहां दुनिया के खास नेताओं को ही ठहराया जाता है।
पांच अगस्त से भारत में हैं शेख हसीना
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बीच पांच अगस्त को भारत चली गई थीं। इस दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में कई लोग घायल हुए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। इस मामले में हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ अपराध और नरसंहार की 60 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेख हसीना के खिलाफ 225 मामले दर्ज हैं, इनमें हत्या के 194, मानवता के विरुद्ध अपराध और नरसंहार के 16 मामले, अपहरण के तीन मामले, हत्या के प्रयास के 11 मामले और ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ की रैली पर हमले के संबंध में एक मामला शामिल है।
बांग्लादेश में क्यों भड़की थी हिंसा?
बांग्लादेश को साल 1971 में आजादी मिली थी। आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था लागू है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। इस तरह बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण था। साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई महीने तक चले प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश सरकार ने आरक्षण खत्म करने का एलान किया।
5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन बाद में बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया था।