नई दिल्ली। देश शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में 26 वयस्कों को दो समूहों में बांट कर अध्ययन किया है। इसमें एक समूह वह था जो प्रदूषित हवा के संपर्क में रहा और दूसरे ने स्वच्छ हवा में सांस ली थी।
अध्ययन के दौरान प्रदूषित या स्वच्छ हवा में सांस लेने से पूर्व और बाद में लोगों की सोचने-समझने की क्षमता की जांच की गई। प्रदूषित हवा में थोड़े समय के लिए भी सांस लेने से न सिर्फ सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है, बल्कि इससे ध्यान केंद्रित करना और भावनाओं पर नियंत्रण भी मुश्किल होता है। ऐसे में दिमागी भटकाव से रोजमर्रा के कामों पर गहरा असर पड़ता है।
बर्मिंघम व मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के अनुसार वायु प्रदूषण भावनाओं की समझ, काम पर ध्यान व दूसरों के साथ बेहतर व्यवहार व बातचीत को मुश्किल बना सकता है। अध्ययन के नतीजे अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में 26 वयस्कों को दो समूहों में बांट कर अध्ययन किया है। इसमें एक समूह वह था जो प्रदूषित हवा के संपर्क में रहा और दूसरे ने स्वच्छ हवा में सांस ली थी। अध्ययन के दौरान प्रदूषित या स्वच्छ हवा में सांस लेने से पूर्व और बाद में लोगों की सोचने-समझने की क्षमता की जांच की गई। इसमें स्मृति, ध्यान, भावना, प्रतिक्रिया की गति और ध्यान लगाने की क्षमता जांची गई। पाया गया कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से आत्म नियंत्रण और ध्यान लगाना मुश्किल होता है। इसका सीधा असर हमारे रोजमर्रा के कामों को करने की क्षमता पर पड़ता है।
सेहत को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाता है पीएम 2.5
पीएम 2.5 वायु प्रदूषण का वह घटक है जो स्वास्थ्य को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। 2015 में यह करीब 42 लाख मौतों की वजह बना था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी सिफारिश की है कि एक दिन में हवा में मौजूद पीएम 2.5 का स्तर 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। वर्ष भर में यह स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम होना चाहिए।
दिमाग में छोटे नोटपैड की तरह होती है वर्किंग मेमोरी
वर्किंग मेमोरी मस्तिष्क में एक छोटे नोटपैड की तरह होती है जो कुछ समय के लिए जानकारी को याद रखने और उसका उपयोग करने में मदद करती है। यह एक साथ कई काम करने के लिए महत्वपूर्ण है। हमारा दिमाग हमें हर दिन सोचने और निर्णय करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए खरीदारी करते समय यह आपको अपनी सूची पर ध्यान केंद्रित करने, अन्य वस्तुओं को अनदेखा करने में मदद करता है। इस तरह आप उन चीजों को नहीं खरीदते जिनकी आपको जरूरत नहीं है। वायु प्रदूषण सीधे इस पर असर डालता है और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है।
प्रदूषण के महीन कणों की वजह से होता है दिमागी भटकाव
शोधकर्ताओं का कहना है कि दिमागी भटकाव हवा में मौजूद प्रदूषण के महीन कणों की वजह से होता है जिन्हें पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के रूप में जाना जाता है। ये कण दिमागी क्षमता पर भी असर डालते हैं। यहां तक कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण का सामान्य स्तर भी कुछ घंटों में मानव मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित कर सकता है। डीजल प्रदूषण के सिर्फ दो घंटों के संपर्क में आने से इंसानी मस्तिष्क की फंक्शनल कनेक्टिविटी घट जाती है।