"भोर विभोर" अनिता सक्सेना जी का अनुभवों, सुखों दुखों की भावभूमि पर रचा रचना संसार है। जीवन को भोर के रूप में आत्मसात करने वाली रचनाकार की रचनाएँ वास्तव में भाव विभोर करती हैं, उनकी रचनाओं में ऊर्जा, उमंग, मानवीयता है। जीवन जीने की कला है। रचनाकार की सरल, सौम्य, मधुर छवि रचनाओं ने भी आत्मसात कर ली है। देखिए -
फूल हर श्रृंगार के
तेरे मेरे प्यार के
दूसरी बानगी देखिए -
मेघों की आहट पर
धरती ने चौखट पर
अक्षत कलश भर
दीप जलाए
यादों के मैंने तेरे सपने संजोए
रचनाकार ने मन की कोमल सूक्ष्म भावनाओं , यादों को पन्नो पर उकेरा है, देखिए-
इस पतझड़ मेरे आंगन में जितनी यादें आकर बरसी
उतने पत्ते नहीं झरे
रचनाएँ पढ़ते हुए मन में मृदंग सा बजता है। उनकी रचनाएँ स्वच्छ नदियों की तरह हैं जो प्यास बुझती हुई पायल छनकाती हुई अपने रास्ते जा रही हैं। रचनाओं का भाव बोध गहरा है।। छंद ,लय, गेयता जैसे रचनाओं की सांसों में है। उनकी रचनाओं के भाव संवेदना से भरे पूरे हैं, सकारात्मक हैं। उनमें अतीत की याद भी है, 'मन का पंछी' भी है 'उधड़ी रात' भी है, 'गई पूर्णिमा की बात' भी है और 'जीवन की सांझ' भी है। रचनाओं का शीर्षक चयन अद्भुत है। शब्दों का चयन अनूठा है। भविष्य की तरफ आशान्वित है। उनकी कविताओं का झुकाव अध्यात्म की तरफ है। दर्द को प्रस्तुत करना कोई उनसे सीखे।
बानगी देखिए -
कल जब रात उधेड़ी मैंने चाँद बहुत खामोश रहा
लफ़्ज़ नहीं कुछ निकले मुँह से
आंखों से लेकिन दर्द बहा
एक सकारात्मकता की बानगी देखिए
नन्हा तारा बोला हंसकर
तन्हा रहकर यूँ ही तो जल जाया जाता है
एक परिंदा ऊपर आकर बोला मुड़कर
शाखों से हो जुदा फ़लक को
पाया जाता है
प्रकृति उनकी रचनाओं के प्रांगण में उतर आई है। पलाश, पावस, सावन, बादल, चाँद, बसन्त आदि के चित्र बिम्ब मनोहारी हैं। उनकी रचनाओं में मौलिकता, नवीनता, सौम्यता, सरलता, भावानुभूति दिल को छूती है।
सजीव सशक्त प्राणवान रचनाधर्मिता के लिए रचनाकार को हार्दिक बधाई मंगल कामना के साथ।