सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही हत्या के इरादे के अलावा अन्य तत्व भी साबित हो जाएं, लेकिन घातक कार्यों के परिणाम का पहले से पता होना ही आरोपी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि जब न्यूनतम सजा ही आजीवन कारावास हो तो समानता, उदारता, वृद्धावस्था और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के आधार पर सजा में कमी की मांग नहीं की जा सकती।