नई दिल्ली। शोधकर्ताओं का कहना है कि औसतन मध्यम आकार के एस्टेरॉयड लगभग हर 100 से 200 हजार साल में पृथ्वी से टकराते हैं। शोधकर्ताओं ने एक मॉडल के जरिये पृथ्वी की जलवायु प्रणाली और महासागर में स्थलीय पौधों व प्लवक पर एस्टेरॉयड के टकराने के प्रभावों का अध्ययन किया है।
भविष्य में मध्यम आकार यानी लगभग 500 मीटर के एस्टेरॉयड बेन्नू (क्षुद्रग्रह) के टकराने के कारण पृथ्वी पर जलवायु और जीवन में बदलाव आ सकता है। टकराव के बाद ऊपरी वायुमंडल में कई सौ लाख टन धूल के बड़े गुबार छा जाएंगे। 10 से 40 करोड़ टन तक की धूल छा जाने के बाद तीन के चार सालों में जलवायु, वायुमंडलीय रसायन विज्ञान और वैश्विक प्रकाश संश्लेषण में भारी गड़बड़ी हो सकती है।
यह जानकारी दक्षिण कोरिया के बुसान राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के आईबीएस सेंटर फॉर क्लाइमेट फिजिक्स (आईसीसीपी) के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के बाद सामने आई है। अध्ययन के नतीजे साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि औसतन मध्यम आकार के एस्टेरॉयड लगभग हर 100 से 200 हजार साल में पृथ्वी से टकराते हैं। शोधकर्ताओं ने एक मॉडल के जरिये पृथ्वी की जलवायु प्रणाली और महासागर में स्थलीय पौधों व प्लवक पर एस्टेरॉयड के टकराने के प्रभावों का अध्ययन किया है।
चार डिग्री सेल्सियस तक ठंडी हो जाएगी पृथ्वी की सतह
शोधकर्ताओं का कहना है कि एस्टेरॉयड के टकराने से उठी धूल के कारण सूर्य के प्रकाश में कमी से पृथ्वी की वैश्विक सतह चार डिग्री सेल्सियस तक ठंडी हो जाएगी। दुनियाभर में बारिश में औसतन 15 फीसदी की कमी आएगी और करीब 32 फीसदी ओजोन कम हो जाएगी। इससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान होगा।