डॉ पुष्पलता का हाल में लघु कथा संग्रह "फार्मूला 44" नाम से प्रकाशित हुआ है। इसमें कुल 44 छोटी कहानियाँ शामिल की गई हैं। कहावत है देखन में छोटे लगे घाव करे गंभीर। डॉ पुष्पलता ने अपनी कहानियों के माध्यम से इसे ही चरितार्थ किया है। ये कहानियाँ समाज के अलग-अलग परिदृश्यों, घटनाओं से निकली हुई प्रतीत होती हैं। ज्यादातर कहानियों की पात्र स्त्री है जो समाज के दंभ-दर्प से लड़ती है और स्वयं स्त्री होने की सार्थकता सिद्ध करती है। कई कहानियाँ पाठकों को चौंका जायेंगी। वे सहसा कह उठेंगे क्या ऐसा भी होता है।
कई बार हम समाज में घटी घटनाओं को अपनी आँखों से देखकर भी मन से ऐसा होना स्वीकार नहीं कर पाते हैं पर वे कडुवे सत्य के समान घटित होती हैं। संग्रह की कुछ कहानियाँ ऐसी ही हैं। शीर्षक के नाम वाली कहानी फार्मूला 44 ऐसी ही है।
अगर समाज में सामने वाले व्यक्ति को कमजोर जानकर कोई व्यक्ति उसके साथ बहुत अधिक ज्यादती कर जाता है तो उसके इस बुरे कर्म के लिये, जीवन के किसी मोड़ पर, ईश्वर उसे दंडित अवश्य करते हैं। कहा भी गया है ईश्वर की लाठी बेआवाज होती है।
इस सँग्रह की जान है हिंदी-इंग्लिश कहानी। लेखिका ने बड़े ही हल्के-फुल्के अंदाज से ये कहानी लिखी है लेकिन इसका संदेश बड़ा है। वे इंग्लिश-हिंदी संवाद के जरिये पाठकों को ये बता जाती हैं कि हिंदी-इंग्लिश भाषाओं के बीच झगड़ा तो उसे बोलने और लिखने-पढ़ने वाले लोग खड़ा करते हैं। भाषाएं तो सहोदर बहनों के समान एक दूसरे से मिल-जुलकर सौहार्द्रपूर्ण तरीके से रहना चाहती हैं। अथ श्री महिला तहजीब कथा वर्तमान समय में सोशल साइट्स और उससे उत्तपन्न समस्याओं के प्रति आगाह करती है। इसके अलावा अभिनंदन, पानी के फूल, वो कौन थी, गरीब, वरदान या अभिशाप, औरतें, श्राद्ध कर देना, सजन रे झूठ ही बोलो, बेवकूफ, फांस आदि कहानियाँ भी, समसामयिक और संदेशप्रद हैं। लेखिका ने स्थान विशेष में बोले जाने वाले शब्दों का खूब प्रयोग किया है। इनसे अंचल विशेष की खुशबू तो आती है लेकिन देश के दूसरे हिस्से के लोग कहानियाँ पढ़ते हुये अटकेंगे जरूर। वाक्य विन्यास और प्रूफ की गलतियाँ खटकती हैं।