इंफाल। मणिपुर में मई 2023 से अब तक मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। हजारों लोग बेघर हो गए हैं। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है।
विधानसभा को निलंबित कर दिया है। अब राज्यपाल अजय भल्ला की अपील के बाद मैतेई समूह अरामबाई टेंगोल ने अवैध हथियारों को सौंपना शुरू कर दिया है।
मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला द्वारा मैतेई समूह अरामबाई टेंगोल के नेताओं से मुलाकात करने के बाद अवैध हथियारों को सौंपने का सिलसिला शुरू हो गया है। बृहस्पतिवार को मैतेई समूह अरामबाई टेंगोल ने मणिपुर राइफल्स परिसर में सुरक्षा बलों को 246 हथियार सौंपे। पुलिस के मुताबिक, राज्यपाल द्वारा निर्धारित समय सीमा समाप्त होने से पहले कुल 307 हथियार सौंपे जा चुके हैं। इनमें 246 हथियार अरामबाई टेंगोल और 61 हथियार इंफाल घाटी व पहाड़ी जिलों में विभिन्न स्थानों पर मैतेई और कुकी गांव के स्वयंसेवकों द्वारा सौंपे गए।
बता दें कि राज्यपाल ने 20 फरवरी को मैतेई और कुकी समुदाय से सुरक्षा बलों से लूटे गए हथियार तथा अवैध हथियार सात दिनों के भीतर स्वेच्छा से सौंपने की अपील की थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि ऐसा करने पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके बाद, राज्यपाल ने 25 फरवरी को इंफाल स्थित राजभवन में अरामबाई टेंगोल के नेताओं से मुलाकात कर अवैध हथियार सौंपने को लेकर चर्चा की। अरामबाई टेंगोल के नेता कुछ नियम व शर्तें पूरी होने के बाद हथियार सौंपने को राजी हो गए थे।
राज्यपाल के आश्वासनों से प्रभावित है हथियार सौंपने का निर्णय
अरामबाई टेंगोल के नेता सैखोम मुनिंद्रो मंगांग ने कहा कि उनका निर्णय राज्यपाल भल्ला द्वारा दिए गए आश्वासनों से प्रभावित है। इन आश्वासनों में राज्य में अवैध अफीम की खेती का उन्मूलन, सुरक्षा बढ़ाने के लिए सीमा पर बाड़ लगाना, 1951 को आधार वर्ष मानकर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करना, कुकी उग्रवादियों के हमले को रोकना और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करना शामिल है।
समूह ने निहत्थे सदस्यों को स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति हासिल की
मुनिंद्रो ने बताया कि अरामबाई टेंगोल के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल से अपने सदस्यों के लिए सामान्य माफी का भी अनुरोध किया, जिस पर अधिकारियों ने विचार करने पर सहमति जताई। इसके अलावा समूह ने अपने निहत्थे सदस्यों को स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति भी हासिल की।
अधिकारियों ने कहा कि अवैध हथियारों का स्वैच्छिक समर्पण राज्य में शांति, सांप्रदायिक सद्भाव और कानून-व्यवस्था की बहाली में मदद करेगा, जो लगभग दो वर्षों से जातीय हिंसा से प्रभावित है।
पुलिस ने उन लोगों से अपील की है, जिनके पास अभी भी लूटे गए या अवैध हथियार रखे हैं, वे आगे आएं और समय सीमा समाप्त होने से पहले निकटतम पुलिस स्टेशन, चौकी या सुरक्षा बलों के शिविरों में आत्मसमर्पण कर दें। पुलिस ने कहा कि निर्धारित अवधि के भीतर स्वेच्छा से हथियार सौंपने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन समय सीमा के बाद अवैध हथियार रखने वालों को गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा।
पूर्व सीएम सिंह ने हथियार सौंपने का स्वागत किया
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हथियार सौंपने का स्वागत किया और इसे शांति की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। सिंह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'मैं हथियार सौंपने के अरामबाई टेंगोल के सदस्यों के निर्णय की सराहना करता हूं। हथियारों से दूर रहने का विकल्प चुनकर, उन्होंने सार्थक शांति प्रक्रिया के लिए द्वार खोल दिए हैं। यह कदम न केवल तनाव को कम करता है, बल्कि सुलह, स्थिरता और दीर्घकालिक प्रगति के लिए जगह भी बनाता है।'
सिंह ने आगे कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राज्यपाल अजय भल्ला के अथक प्रयासों के लिए बहुत आभारी हूं, जिन्होंने इसे संभव बनाया।