नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में वैश्विक व्यवस्था में एक 'पुनर्संतुलन' देखा गया है। जैसे-जैसे हम विकसित भारत की ओर आगे बढ़ेंगे, मतभेदों और विवादों में सामंजस्य, मध्यस्थता और समाधान की आवश्यकता और भी अधिक होगी। उन्होंने कहा कि भारत के मध्यस्थता स्थल के रूप में उभरने की दिशा में यह एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने शनिवार को भारत के मध्यस्थता बार के शुभारंभ पर एक सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, मुझे पता है कि आप सभी वैश्विक व्यवस्था के महत्व को मुझसे अधिक सराहते हैं, लेकिन विदेश मंत्री के रूप में मुझे इसे एक बड़े संदर्भ में रखना चाहिए। मैं यहां जिस त्रिकोण का उपयोग कर रहा हूं वह वास्तव में कानून, व्यापार और कूटनीति में से एक है।
जयशंकर ने कहा, पिछले कुछ दशकों में वैश्विक व्यवस्था में एक पुनर्संतुलन देखा गया है, जो नई दिशाओं को आकार दे रहा है। इसका एक पहलू संस्थानों और गतिविधियों का लोकतंत्रीकरण है। जैसे-जैसे आर्थिक क्षमताएं उभरती हैं तो यह स्वाभाविक है कि इसके साथ जुड़े कई आयाम भी दुनिया में बहुत अधिक फैल जाते हैं। जिस कार्यक्रम के लिए हम आए हैं वह दुनिया में शक्ति, प्रभाव और क्षमताओं के व्यापक पुनर्वितरण को प्रतिबिंबित करता है। यह अपने आप नहीं होता, इसे पूरा करने के लिए नेतृत्व और हितधारकों की प्रतिबद्धता दोनों की आवश्यकता होती है।
जीडीपी के मामले में भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
विदेश मंत्री ने कहा, भारत वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जल्द ही तीसरे पायदान पर पहुंचने की संभावना है। अन्य क्षेत्रों की तरह, हमें उच्च गुणवत्ता वाली क्षमताएं विकसित करने की जरूरत है, ताकि भारत भी प्रतिस्पर्धी दुनिया में खड़ा हो सके।
मध्यस्थता के महत्व को पहचानती है मोदी सरकार
जयशंकर ने लॉन्च इवेंट की फोटो एक्स पर साझा कीं। कहा, भारत के मध्यस्थता बार के लॉन्च में भाग लेकर खुशी हुई। 'भारत में मध्यस्थता!' जैसे-जैसे हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ती है और देश का वैश्वीकरण होता है, इसे मेक इन इंडिया का स्वाभाविक सहयोग होना चाहिए। मोदी सरकार उच्च गुणवत्ता वाली मध्यस्थता के महत्व को पहचानती है, क्योंकि यह व्यापार करने में आसानी में सुधार करती है, टीम एमईए अपना काम कर रही है।
विदेश में आर्थिक गतिविधियों को देखने वाला राष्ट्र होगा भारत
जयशंकर ने कहा, हमारा लक्ष्य विकसित भारत है। इसमें न केवल एक आर्थिक मैट्रिक्स होगा, बल्कि एक सर्वांगीण विकास होगा, जिसमें जीवन की गुणवत्ता, व्यापार करने में आसानी, गहरी राष्ट्रीय ताकत, तकनीकी क्षमताएं, अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एक बड़ी भूमिका, लेकिन कम से कम, संस्थान, बुनियादी ढांचा शामिल होगा। वह प्रतिभा जो वास्तव में विकसित भारत को परिभाषित करेगी। यह निश्चित रूप से एक ऐसा राष्ट्र होगा जो घर और विदेश में अधिक गहन और परिणामी आर्थिक गतिविधियों को देखेगा।