नई दिल्ली। मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि एआई सिर्फ कुछ खास लोगों के लिए न हो और न ही इस पर बड़ी टेक कंपनियों एवं वैश्विक दिग्गजों का वर्चस्व हो।
अभूतपूर्व नीतियों के जरिये सरकार छात्रों, स्टार्टअप व इनोवेटर्स को विश्वस्तरीय एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच बनाने में सक्षम बना रही है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के मोर्चे पर भारत में परिवर्तनकारी क्रांति देखने को मिल रही है। खास बात है कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में एआई और नवाचार में सफलता के परचम लहरा रहा है। भारत के इतिहास में पहली बार सरकार प्रत्यक्ष रूप से एआई तंत्र (इकोसिस्टम) को बढ़ावा दे रही है, जहां कंप्यूटिंग पावर, ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) और शोध के अवसर किफायती दाम पर उपलब्ध हैं। इसी किफायती नवाचार के दम पर देश भविष्य को सशक्त बनाने के रास्ते पर तेजी से बढ़ रहा है। ब्यूरो
सबको समान अवसर देने पर जोर
मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि एआई सिर्फ कुछ खास लोगों के लिए न हो और न ही इस पर बड़ी टेक कंपनियों एवं वैश्विक दिग्गजों का वर्चस्व हो। अभूतपूर्व नीतियों के जरिये सरकार छात्रों, स्टार्टअप व इनोवेटर्स को विश्वस्तरीय एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच बनाने में सक्षम बना रही है। इससे वास्तव में सबसे लिए एक समान अवसर पैदा हो रहा है। चाहे वह इंडिया एआई मिशन हो या एआई के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना...सरकार की ये सभी पहल देश के पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने का इरादा रखती हैं। इन पहलों से भारत को वैश्विक एआई लीडर बनाने में जुटी सरकार
जीपीयू इन्फ्रा और ओपन जीपीयू मार्केट
इंडियाएआई मिशन के लॉन्च होने के 10 महीने के भीतर सरकार को अभूतपूर्व प्रतिक्रियाएं मिली हैं। करीब 18,693 जीपीयू की एक उच्च स्तरीय और मजबूत कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा तैयार हो गई है। यह ओपन सोर्स मॉडल डीपसीक की तुलना में करीब 9 गुना और चैटजीपीटी के मुकाबले लगभग दो तिहाई है। सरकार ने भारत के जीपीयू बाजार को खोलने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इससे छोटे स्टार्टअप, शोधकर्ताओं और छात्रों को उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटिंग संसाधनों तक पहुंच बनाने में मदद मिली है। यह उन प्रमुख देशों के विपरीत है, जहां एआई बाजार पर बड़ी कंपनियां का वर्चस्व होता है। इसके अतिरिक्त, भारत अगले तीन से पांच वर्षों में स्वदेशी जीपीयू विकसित कर लेगा।
इंडियाएआई मिशन
भारत के एआई तंत्र को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने 2024 में 10,300 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ इंडियाएआई मिशन को मंजूरी दी। अगले पांच वर्षों के लिए निर्धारित यह फंड इंडियाएआई मिशन को नई ऊंचाई पर ले जाएगा। उच्चस्तरीय कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा वाला इंडियाएआई मिशन अब भारतीय भाषाओं का उपयोग कर स्वदेशी एआई समाधन पेश करने के करीब है। इस एआई मॉडल की शुरुआत करीब 10,000 जीपीयू की कम्प्यूटेशन सुविधा के साथ हो रही है। जल्द ही बाकी 8,693 जीपीयू भी इसमें शामिल कर लिए जाएंगे।
सस्ती दर पर कम्प्यूटिंग सुविधा
सरकार जल्द ही एक कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा शुरू करेगी, जहां स्टार्टअप और शोधकर्ता कंप्यूटिंग पावर का उपयोग कर सकेंगे। मोदी सरकार इसे एक डॉलर प्रति घंटा की दर से उपलब्ध कराएगी, जबकि वैश्विक स्तर पर जीपीयू एक्सेस की लागत करीब 2.5-3 डॉलर प्रति घंटा है।
इंडियाएआई डाटासेट प्लेटफॉर्म : डाटा वह ईंधन है, जो एआई अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाता है। समृद्ध, विविध और प्रचुर डाटासेट के बिना सबसे कुशल डाटा वैज्ञानिक और डेवलपर्स भी सीमाओं में बंधे रहते हैं। इसे पहचानते हुए मोदी सरकार बड़े शोध समुदाय के लिए खुले डाटासेट को सुलभ बनाने पर सक्रिय रूप से काम कर रही है।
एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
सरकार ने 2023 में दिल्ली में स्वास्थ्य सेवा, कृषि और सस्टेनेबल शहरों पर केंद्रित तीन एआई उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना की घोषणा की। बजट-2025 में 500 करोड़ रुपये के खर्च के साथ शिक्षा के लिए एक नया उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणा की गई। शिक्षा में एआई के लिए घोषित किया जाने वाला यह चौथा केंद्र है।
कौशल विकास के लिए पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र
सरकार ने कौशल विकास के लिए पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की योजना करने की घोषणा की है। इन्हें युवाओं को उद्योग आधारित विशेषज्ञता से लैस करने के लिए डिजाइन किया गया है। मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड मैन्युफैक्चरिंग को समर्थन देने के लिए वैश्विक भागीदारी के साथ इन केंद्रों की स्थापना की जाएगी।