दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यदि हर साधु, बाबा, फकीर या गुरु को सार्वजनिक भूमि पर मंदिर बनाने की अनुमति दी जाती है, तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे। नागा साधुओं को दुनिया से अलग-थलग रहना होता है, उनके नाम पर संपत्ति का अधिकार मांगना उनकी मान्यताओं और प्रथाओं के अनुरूप नहीं है।