मुंबई। गिरफ्तार आरोपी ने कबूला- एसआरए प्रोजेक्ट के लिए बिल्डर को दिए थे पैसे न्यू इंडिया सहकारी बैंक में 122 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में गिरफ्तार अधिकारी ने इस बात को कबूल किया है
कि उसने एक रियल एस्टेट डेवलपर को चारकोप (कांदिवली) में झुग्गी पुनर्वास परियोजना को पूरा करने के लिए 70 करोड़ रुपये दिए गए थे। एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
सहकारी बैंक के महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख हितेश मेहता और रियल एस्टेट डेवलपर धर्मेश पौन को गिरफ्तार किया गया है और एक अदालत ने उन्हें एक फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। बैंक के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्शी घोष ने दादर थाने में शुक्रवार को शिकायत दर्ज कराई थी। जांच को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया है। मेहता पर बैंक की प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं से 122 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है।
पुलिस अधिकारी ने बताया, पौन को रविवार को गिरफ्तार किया गया। मामला दर्ज होने के बाद मुंबई पुलिस ने मेहता और एक अन्य व्यक्ति उन्नथन अरुणाचलम उर्फ अरुण भाई (55 वर्षीय) के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया, जो सोलर पैनल के व्यवसाय में है। मेहता ने हमें बताया कि उसने रियल एस्टेट डेवलपर को 70 करोड़ रुपये और अरुणाचलम को 40 करोड़ रुपये दिए थे।
उन्होंने कहा, मेहता ने कुछ पैसों का निजी इस्तेमाल भी किया। पौन ने अब तक यह नहीं माना कि उसे मेहता से पूरी रकम ली थी। हमें अभी यह पता नहीं चला है कि पौन ने झुग्गी पुनर्वास परियोजना को पूरा करने के लिए बैंक से लोन के लिए आवेदन किया था या नहीं। यह गबन तब सामने आया जब रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने बैंक के कॉर्पोरेट कार्यालय का निरीक्षण किया। पुलिस ने यह भी कहा कि वह यह जांच कर रही है कि आखिरी पांच वर्षं से चल रहे इस गबन का पता ऑडिट में क्यों नहीं लग पाया।