नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने नशे की हालत में पेश होने को अदालत की आपराधिक अवमानना माना और दी गई सजा को बरकरार रखा है। नशे में पेश होने वाले वकील को दो साल की सजा दी गई थी। उसने सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी। अपील लंबित रहने के दौरान वह करीब पांच महीने की सजा काट चुका था।
हाईकोर्ट ने जेल में बिताई गई सजा को ही सजा माना और उसे आगे की सजा नहीं दी। न्यायमूर्ति प्रतिभा मनिंदर सिंह एवं न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा कि महिला न्यायिक अधिकारी के खिलाफ इस्तेमाल की गई भाषा अदालत की आपराधिक अवमानना है।