नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत कई दूसरे नेताओं के हार का अंतर उससे कम रहा, जितने कांग्रेस को वोट मिले। इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव का नाम भी शामिल है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का बेशक खाता नहीं खुला, पिछले विधान सभा की तुलना में वोट शेयर में भी बड़ा उछाल नहीं दिखा, फिर भी, लोक सभा के उलट विधान सभा चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला घाटे का रहा। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत कई दूसरे नेताओं के हार का अंतर उससे कम रहा, जितने कांग्रेस को वोट मिले। इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव का नाम भी शामिल है। आप के 13 और कांग्रेस के एक नेता की हार के अंतर से अधिक कांग्रेस व आप उम्मीदवार ने वोट लिए है। 14 सीटें आप व कांग्रेस मिलकर जीत सकती थी और उनके गठबंधन को 36 सीटें प्राप्त हो जातीं।
कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ने की पहल की थी, मगर आप ने पर्याप्त सीटें देने सेे मना कर दिया था। आप उसे केवल 10 सीटें दे रही थी, जबकि कांग्रेस कम से कम 15 सीटें मांग रही थी। कांग्रेस का मानना था कि अगर दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा को हराने के लिए एक मजबूत मोर्चा बन सकता है। लिहाजा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन हो जाता तो आज दिल्ली की राजनीति का परिदृश्य कुछ और ही होता और एक बार फिर भाजपा सत्ता में आने से रह जाती। इसकी बानगी चुनाव परिणाम में देखने को मिल रही है।
आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल 4089 वोटों से हारे है और उनकी सीट पर कांग्रेस के संदीप दीक्षित ने 4568, आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया से 675 वोट से पराजित हुए और उनके सामने चुनाव लड़े कांग्रेस के फरहाद सूरी ने 7350 वोट प्राप्त किए। इसके अलावा भाजपा ने तिमारपुर में आप से 1168 वोट से जीती और कांग्रेस ने 8361 वोट लिए। बादली में 15163 में जीती और कांग्रेस ने 41071 वोट प्राप्त किए, नांगलोई में भाजपा 26251 से जीतने में सफल हुई और कांग्रेस को 32028 वोट मिले।
मादीपुर में 10899 से जीती, जबकि कांग्रेस को 17958 वोट प्राप्त हुए। राजेंद्र नगर में 1213 में जीती और कांग्रेस ने 4015 वोट मिले, मालवीय नगर में 2131 से जीती और कांग्रेस को 6770 वोट प्राप्त हुए, महरौली में 1782 से जीती और कांग्रेस को 9338 वोट मिले, छतरपुर में 6239 से जीत से प्राप्त की और कांग्रेस को 6601 वोट मिले, संगम विहार में 344 से जीती और कांग्रेस को 15863 वोट प्राप्त हुए, ग्रेटर कैलाश में 3188 से जीती और कांग्रेस को 6511 वोट मिले, त्रिलोकपुरी में 392 से जीती और कांग्रेस को 6147 वोट मिले और कस्तूरबा नगर में कांग्रेस से 11048 वोट से जीती, इस सीट पर आप को 18617 वोट मिले।
कांग्रेस की मांग को नजरअंदाज करना पड़ा भारी
कांग्रेस ने 20 सीटों की मांग की थी, क्योंकि वह जानती थी कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए उसे पर्याप्त प्रतिनिधित्व की आवश्यकता होगी। लेकिन आप के नेतृत्व ने कांग्रेस की मांग को नजरअंदाज किया और केवल 10 सीटें देने की पेशकश की। इस पर कांग्रेस नेताओं का कहना था कि 10 सीटें उनके लिए बहुत कम थीं, क्योंकि इससे पार्टी की चुनावी ताकत कमजोर होती और वह 15 सीटों पर तैयार हो गई थी।
लेकिन, आप उसे 15 सीटें देने को भी तैयार नहीं हुई। इस कारण दोनों दल अलग-अलग चुनावी दंगल में उतरे और कांग्रेस का खाता नहीं खुला और आप सत्ता से बाहर हो गई। वहीं, आप नेताओं का कहना है कि उन्होंने कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने की पेशकश इसलिए नहीं की, क्योंकि वे यह मानते थे कि गठबंधन से पार्टी की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती थी।