नई दिल्ली। भारतीय और सुंडाइक गैंडों के बीच महत्वपूर्ण अंतर की पहचान की गई है। इस नए वर्गीकरण से न केवल गैंडों के विकास को बेहतर समझने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके संरक्षण के लिए भी एक स्पष्ट योजना बनाई जा सकेगी।
जीवाश्म विज्ञानियों ने गैंडे की नई प्रजाति का नाम यूरिनोसेरोस सोंडाइकस रखा है।
भारतीय और सुंडाइक गैंडों के बीच महत्वपूर्ण अंतर की पहचान की गई है। इस नए वर्गीकरण से न केवल गैंडों के विकास को बेहतर समझने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके संरक्षण के लिए भी एक स्पष्ट योजना बनाई जा सकेगी। जीवाश्म विज्ञानियों ने गैंडे की नई प्रजाति का नाम यूरिनोसेरोस सोंडाइकस रखा है।
अब तक पाए जाने वाले दो एक सींग वाले गैंडों को एक ही वर्ग में रखा जाता था, लेकिन एक नए अध्ययन में उनके रूप और व्यवहार में बड़े अंतर पाए गए हैं। इससे पहले की गई वर्गीकरण प्रणाली को चुनौती मिल रही थी और वैज्ञानिक अब उनकी स्थिति का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं। जीवाश्म विज्ञानियों के इस शोध में यह स्पष्ट किया गया है कि लाखों वर्षों के विकासवादी दबावों के कारण भारतीय गैंडे राइनोसेरोस यूनिकॉर्निस और सुंडाइक गैंडे (राइनोसेरोस सोंडाइकस) ने अलग-अलग विशेषताएं विकसित की हैं। यह अध्ययन जूकीज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।