चंडीगढ़ । हाईकोर्ट के वेतन वृद्धि आदेश पर कार्यकारी अभियंता के वेतनमान में सिर्फ एक रुपये की बढ़ोतरी पर हरियाणा सरकार को फटकार लगी है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आदेश को कार्यात्मक और स्पष्ट रूप से अवैध करार देते हुए इसे न्यायालय के आदेश का मजाक बताया है। हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ सरकार की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणियां की हैं।
2012 में हिसार की हरियाणा फेडरेशन ऑफ इंजीनियर्स ने एक याचिका दायर की थी। इसमें मांग की गई थी कि लोक निर्माण व जन स्वास्थ्य विभाग के सहायक अभियंता के वेतनमान की तुलना में कार्यकारी अभियंता का वेतनमान एक स्तर ऊपर और अधीक्षण अभियंता का वेतनमान कार्यकारी अभियंता से एक स्तर ऊपर किया जाए और यह संशोधन 1989 से प्रभावी हो। एकल बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि सहायक अभियंता और कार्यकारी अभियंता को अगला उच्चतर वेतनमान मिलना चाहिए।
यह आदेश एक मई 1989 से 31 दिसम्बर 1995 तक के लिए लागू था। अदालत ने बकाया वेतन/संशोधित वेतनमान संबंधित अधिकारियों को छह सप्ताह के भीतर जारी करने का निर्देश दिया था। कोर्ट के आदेश का पालन दिखाते हुए सरकार की ओर से वेतन में केवल एक रुपये की वृद्धि की गई।