नई दिल्ली। दुनिया भर में 50 हजार जंगली प्रजातियां अरबों लोगों की जरूरतें पूरी करती हैं। दुनिया का आधा से ज्यादा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) प्रकृति पर निर्भर है, पर जैव विविधता की क्षति वित्तीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन गई है।
इंटरगवर्नमेंटल साइंस-पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज (आईपीबीईएस) की रिपोर्ट के मुताबिक केवल वनों में 60,000 वृक्ष प्रजातियां, 80 फीसदी उभयचर प्रजातियां और 75 फीसदी पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं जो 1.6 अरब से अधिक लोगों को भोजन, दवा और आय के रूप में प्राकृतिक पूंजी प्रदान करती हैं।
10 लाख से ज्यादा प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार फिलहाल दुनिया भर में लगभग दस लाख प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है, क्योंकि जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इंसानी गतिविधियों की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण धरती का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में सदी के अंत तक 2.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। इस वजह से विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियों के लिए 10 गुना खतरा बढ़ जाएगा।
जंगली प्रजातियों से लोगों को फायदा
रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगली प्रजातियों और उनके पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने से लाखों लोगों की आजीविका सुरक्षित होगी। इसके अलावा जंगली पौधे, फफूंद और शैवाल दुनिया की 20 फीसदी आबादी के भोजन का हिस्सा हैं। दुनिया में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में से 70 फीसदी लोग जंगली प्रजातियों पर सीधे तौर पर निर्भर हैं। यह उनकी आमदनी का मुख्य स्रोत है।