नई दिल्ली। बढ़ता तापमान और लू वैसे तो सभी के लिए हानिकारक है लेकिन गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे शिशुओं पर इसका खतरा ज्यादा है। यह जानकारी अमेरिका में हुए एक शोध में मिली है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बढ़ते तापमान से समय पूर्व प्रसव का जोखिम बढ़ रहा है।
अमेरिका की नेवादा यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए इस अध्ययन के नतीजे जर्नल जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित हुए हैं। तापमान में हर एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में एक फीसदी का इजाफा हुआ है। शोध से इस बात की भी पुष्टि होती है कि लू की वजह से समय से पहले जन्म के मामलों में 30 वर्ष या उससे कम उम्र में मां बनने वाली महिलाएं ज्यादा हैं।
समय पूर्व जन्मे बच्चों का विकास ठीक नहीं हो पाता
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं पाई गईं। इसकी वजह से बच्चे का विकास ठीक से नहीं हो पाता जो उनकी मृत्यु का कारण बन सकता है। साथ ही इसके चलते शिशुओं को जीवन भर स्वास्थ्य सम्बन्धी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इसमें सांस, मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी समस्याएं शामिल हैं। ऐसे में इन मामलों में थोड़ी सी भी वृद्धि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1993 से 2017 के बीच जन्म लेने वाले 5.31 करोड़ बच्चों की जन्म से जुड़ी परिस्थितियों का विश्लेषण किया है। इससे पता चला है कि जब स्थानीय तापमान लगातार चार दिनों से अधिक समय तक असामान्य रूप से गर्म रहा तो समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में इजाफा देखा गया।
2020 में देश में 30.2 लाख बच्चों का जन्म वक्त से पहले
शोध के परिणामों को लेकर भारत को भी सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि भारत में भी तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई रिपोर्ट बर्थ टू सून: डिकेड ऑफ एक्शन ऑन प्रीटर्म बर्थ में कहा गया है कि भारत में 2020 के दौरान 30.2 लाख नवजातों का जन्म समय से पहले हो गया था। यहां समय से पहले जन्म लेने वाल बच्चों की दर 13 फीसदी है। यानी भारत में हर 13वें बच्चे का जन्म समय से पहले हो जाता है।
समय पूर्व प्रसव...समय से पहले जन्म तब कहा जाता है जब गर्भस्थ शिशु का जन्म गर्भावस्था के 37 सप्ताह के पहले हो जाता है। वहीं प्रेगनेंसी के 37 से 39 सप्ताह के बीच पैदा होने वाले बच्चे ‘अर्ली टर्म बर्थ’ कहलाते हैं। यदि किसी बच्चे का जन्म गर्भावस्था के 40 सप्ताह के बाद होता है तो उसके जन्म को सामान्य माना जाता है।