चंडीगढ़ । ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने का कारण खुद पर भूत (ओपरी) का साया बताने वाले हरियाणा पुलिस के कांस्टेबल को बर्खास्त करने के आदेश पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मुहर लगा दी है। 33 साल पहले बर्खास्त हुए इस कांस्टेबल से मेडिकल सर्टिफिकेट मांगने पर उसने कोर्ट में मौलवी से इलाज कराने की दलील दी थी।
कोर्ट ने कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए बिना बताए अनुपस्थित रहने को कदाचार माना और 24 साल बाद याचिका खारिज कर दी।
याचिका दाखिल करते हुए सुरेंद्र पाल ने बताया कि वह हिसार एसपी कार्यालय में कांस्टेबल के तौर पर नियुक्त हुआ था। 25 दिसंबर 1989 से लेकर 28 दिसंबर 1989 और फिर 22 जनवरी 1990 से लेकर 27 मार्च 1991 तक अनुपस्थित रहा। अनुपस्थिति के चलते उसके खिलाफ विभागीय जांच आरंभ की गई और 13 दिसंबर 1991 को उसे बर्खास्त कर दिया गया। आदेश के खिलाफ उसकी अपील पहले आईजी ने खारिज कर दी। 21 फरवरी 1993 को डीजीपी ने भी अपील खारिज कर दी जिसके बाद उसने सिविल सूट दाखिल किया।
सिविल सूट में उसने दलील दी थी कि वह अनुपस्थित की अवधि का मेडिकल इसलिए नहीं दे सका क्योंकि वह भूत के प्रभाव में था और उसने इलाज मौलवी से करवाया था। जिला अदालत में 20 मार्च 1998 को सिविल सूट खारिज कर दिया था। सन 2000 में उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी और बहाली की मांग की थी। याचिका पर 24 साल बाद अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने बर्खास्त की के आदेश पर अपनी मोहर लगा दी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस बल डिसिप्लिन फोर्स होती है और इस प्रकार का रवैया कदाचार की श्रेणी में आता है।