महिलाओ को देह व्यापार में धकेलने और जबरन भीख मंगवाने के रैकेट को रोकने के लिए एनएचाआरसी ने सख्त कदम उठाया है। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिए हैं कि वे जबरन देह व्यापार और भीख मंगवाने के मामलों पर नोटिस जारी करें।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि छापे के दौरान गिरफ्तार महिलाओं के बयानों को उद्धृत करने वाली एक समाचार रिपोर्ट यदि सच है, तो जाति, धर्म और भौगोलिक सीमाओं के बावजूद महिलाओं के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान से संबंधित एक गंभीर चिंता पैदा करती है।
दरअसल, 1 जुलाई को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के रांची में एक होटल में छापेमारी की गई। इस दौरान कई महिलाओं को गिरफ्तार किया गया। इसमें से अधिकांश महिलाओं का कहना है कि मजबूरी और लाचारी के कारण देह व्यापार में शामिल हो गई थीं। उनमें से कई को उनके रिश्तेदारों ने इस जाल में धकेल दिया था। कुछ को अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस घिनौने धंधे में उतरने के लिए मजबूर किया गया था। एक बार असामाजिक तत्वों के चंगुल में फंसने के बाद वे इससे बाहर नहीं निकल पाईं।
मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि पीड़ित महिलाएं अलग-अलग जगहों की मूल निवासी हैं। इन महिलाओं को नौकरी के नाम पर फंसाकर यह काम करवाया गया, उनके संचालक कथित तौर पर दूर-दराज के स्थानों से काम कर रहे हैं। यह देश भर में अपराध सिंडिकेट की गहराई को दर्शाता है, जिसके लिए ऐसे आपराधिक तत्वों के खिलाफ पूरे देश में कार्रवाई की आवश्यकता है।
वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को भीख मांगने की आवश्यकता को खत्म करने और इसमें शामिल लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से रणनीति विकसित करने के लिए यह सलाह जारी की गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कई पहलों और कल्याण कार्यक्रमों को लागू करने के बावजूद, देश भर में भीख मांगने की प्रथा जारी है। उन्होंने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 4,13,000 (4.13 लाख) से अधिक भिखारी और आवारा लोग थे। एनएचआरसी ने अधिकारियों से भीख मांगने में शामिल व्यक्तियों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए एक राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार करने को कहा, ताकि लक्षित वित्तीय सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण, गरीबी उन्मूलन और रोजगार के अवसरों के साथ उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं तैयार और कार्यान्वित की जा सकें और उन रूपरेखाओं के कार्यान्वयन के लिए कार्यकारी कार्यों द्वारा निरंतर निगरानी और पर्यवेक्षण किया जा सके।
देह व्यापार को रोकने के लिए उठाए कदमों की मांगी रिपोर्ट
एनएचआरसी ने मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी किया है। जिसमें महिलाओं को देह व्यापार में धकेलने वाले असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए उठाए गए और प्रस्तावित कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। नोटिस में आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और कल्याण के लिए देश में कई कानून और योजनाएं होने के बावजूद असामाजिक और आपराधिक तत्व समाज के कमजोर वर्गों, खासकर महिलाओं को निशाना बनाने में कामयाब होने पर शर्मिदंगी जताई।
भीख मांगने वालों के संरक्षण करने वालों का तैयार होगा डाटाबेस
जबरन भीख मांगने के किसी भी रैकेट को रोकने के लिए मानव तस्करी विरोधी कानून बनाने के लिए समाजशास्त्रीय और आर्थिक प्रभाव मूल्यांकन करने की भी सिफारिश की। इस कानून में भीख मांगने को मानव तस्करी के मूल कारणों में से एक के रूप में पहचाना जाना चाहिए और अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक अपराध शामिल किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नगर निगमों और सरकारी एजेंसियों की मदद से विस्तृत जानकारी एकत्र करने के लिए एक मानकीकृत सर्वेक्षण प्रारूप विकसित किया जाना है। जिससे भीख मांगने में लगे व्यक्तियों की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति के साथ एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जा सके। इससे सभी हितधारकों के लिए सुलभ एक ऑनलाइन पोर्टल पर नियमित रूप से अपडेट किया जाना चाहिए। राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे संगठित या जबरन भीख मांगने के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए अभियान शुरू करें। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, एनजीओ या सीएसओ और मानवाधिकार रक्षकों सहित विभिन्न हितधारकों को शामिल करके भीख मांगने के खिलाफ़ सेल शुरू किए जा सकते हैं।
इंदौर के आश्रम में बच्चे पड़े बीमार, पांच की मौत, मांगी रिपोर्ट
एनएचआरसी ने एक अन्य मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया है जिसमें मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में एक आश्रम (आश्रय गृह) में 30 बच्चे कथित रूप से बीमार पड़ गए और पांच की मौत हो गई। ये बच्चे 5-15 साल के हैं। हालांकि इन बच्चों की मौत का कारण रक्त संक्रमण और खाद्य विषाक्तता माना जाता है। आश्रम में रहने वाले अधिकांश बच्चे अनाथ हैं। एनएचआरसी ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें कथित तौर पर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती बच्चों की वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति भी शामिल होनी चाहिए। बयान में कहा गया है कि आयोग आश्रम की समग्र स्थिति में सुधार के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानना चाहेगा ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।