वॉशिंगटन। अमेरिका ने सोमवार को भारत में मुस्लिम समुदाय पर प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट का जिक्र किया और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए सार्वभौमिक सम्मान को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। वॉशिंगटन ने कहा कि वह इस मामले पर भारत सहित दुनियाभर के देशों के साथ बातचीत कर रहा है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक दैनिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, हम दुनियाभर में धर्म या आस्था की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए सार्वभौमिक सम्मान को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। हमने सभी धार्मिक समुदायों के सदस्यों के लिए समान व्यवहार के महत्व पर भारत सहित कई देशों को बातचीत में शामिल किया है।
उनका यह बयान न्यूयॉर्क टाइम्स की 'स्ट्रेंजर्स इन देयर ओन लैंड: बीइंग मुस्लिम इन मोदीज इंडिया' शीर्ष वाली रिपोर्ट के बाद आया है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद संभालने के बाद से धर्मनिरपेक्ष ढांचे और मजबूत लोकतंत्र को खत्म कर दिया है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत में मुस्लिम परिवार तकलीफ और अलगाव से जूझ रहे हैं, क्योंकि वे अपने बच्चों को ऐसे देश में बड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो उनकी पहचान पर सवाल उठा रहा है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएमसी-पीएम) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 1950 और 2015 के बीच भारत में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी 9.84 फीसदी से बढ़कर 14.09 फीसदी हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1950 में मुस्लिम आबादी का 9.84 फीसदी था जो 2015 में बढ़कर 14.09 फीसदी हो गया।
इसी अवधि में भारत में हिंदू आबादी की हिस्सेदारी 84.68 फीसदी से घटकर 78.06 फीसदी हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी 1950 और 2015 के बीच 7.82 फीसदी (84.68 फीसदी से 78.06 फीसदी) घट गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईसाई, सिख और बौद्ध आबादी में वृद्धि हुई है, जबकि जैन और पारसी आबादी में कमी आई है। ईएसी-पीएम एक स्वतंत्र निकाय है, जिसका गठन भारत सरकार को विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक और संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिए किया गया है।