चंडीगढ़ । हत्या के मामले में निचली अदालत की ओर से दोषी करार देने को चुनौती देने वाली याचिका को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि यदि पर्याप्त सबूत मौजूद हों, तो शिकायतकर्ता के बयान के पलट जाने के बाद भी अदालत आरोपी को दोषी करार दे सकती है। इ
स मामले में शिकायतकर्ता के मुकरने को आधार बनाते हुए निचली अदालत के आदेश को रद्द करने की अपील की गई थी।
फिरोजपुर झिरका निवासी शौकीन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए हत्या के मामले में दोषी करार देने के फैसले को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल सुरेंद्र सिंह पन्नू ने पक्ष रखते हुए कहा कि शिकायतकर्ता ने गवाही दी थी कि उसकी बेटी को आरोपी ने सिर में गोली मारी थी। सात माह बाद जब प्रतिवादियों की ओर से गवाह से क्रॉस एग्जामिनेशन हुआ, तो उसने ऐसी किसी भी घटना से इन्कार कर दिया था।
कोर्ट ने कि कहा कि गवाही और क्रॉस एग्जामिनेशन में लंबा समय बीत गया और इस दौरान आरोपियों को शिकायतकर्ता को प्रभावित करने का मौका मिल गया। कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने दो गवाही हैं और वही गवाही मान्य होगी जो सबूतों से मेल खाती है। अभियोजन पक्ष ने आरोपी की निशानदेही पर हथियार की बरामदगी और हथियार की एफएसएल रिपोर्ट को आधार बनाया। इन सभी के आधार पर निचली अदालत ने याची को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसी सजा को याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए चुनौती दी है।
एफएसएल की रिपोर्ट को नजरअंदाज नहीं कर सकते
सभी दलीलों पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा शिकायतकर्ता ने पहले ट्रायल कोर्ट में अपनी शिकायत का समर्थन किया, लेकिन 7 माह बाद हुए क्रॉस एग्जामिनेशन में वह पलट गया। आरोपी को जब गिरफ्तार किया गया, तो उसने अपना अपराध कबूल कर लिया था। उसी की निशानदेही पर हथियार बरामद हुआ। हथियार की बरामदगी व एफएसएल की रिपोर्ट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में शिकायतकर्ता के गवाही से मुकर जाने के बावजूद अभियोजन के पास पर्याप्त सबूत हैं कि हत्या याचिकाकर्ता ने ही की थी। ऐसे में सजा बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।