नई दिल्ली । मौज-मस्ती और रफ्तार ने दो परिवारों की खुशियां छीन लीं। लाल किले के पास हुए हादसे में जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे तौहीद की सलामती के लिए परिजन दुआएं कर रहे हैं। जैद और अब्दुल्लाह की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
पुलिस ने रविवार को पोस्टमार्टम कराकर दोनों के शव परिजनों के हवाले कर दिए गए। बाद में उनको सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।
जैद के चाचा मोहम्मद अफजाल ने बताया कि परिवार 2025, मोहल्ला कब्रिस्तान, तुर्कमान गेट पर रहता है। जैद के परिवार में उसके पिता मो. अखलाक, मां मुर्ससलीना, एक बड़ा भाई मो. आकिफ और दो बहनें बरिशा और अलिशा हैं। परिवार का कई पीढ़ियों से मुगलई खाने बनाने का काम है। उनके पूरे मोहल्ले में सभी बावर्ची हैं।
वहीं, अब्दुल्लाह परिवार के साथ 2017, मोहल्ला कब्रिस्तान में रहता था। इसके परिवार में पिता मो. जावेद, मां शाजिया, बड़ा भाई अल्ला वाला, एक बहन है। वहीं, तौहीद के परिवार में पिता मो. नूरी और एक बड़ा भाई अजहर है। तौहीद की मां की दो साल पहले बीमारी से मौत हो गई थी। रात को तीनों नाबालिगों के परिवार शादी में थे।
मोहल्ले में इनके रिश्तेदार छामू के बेटे जुहेब का वलीमा था। कार्यक्रम देर रात तक जारी थी। इस बीच देर रात को तीनों घूमने जाने की बात कर बरातघर से निकल गए। स्कूटी तौहीद चल रहा था। कबूतर मार्केट के सामने वह हादसे का शिकार हो गए। अफजाल ने बताया कि उनके मोबाइल पर रात 1.30 बजे अस्पताल से कॉल आया। तीनों नाबालिगों को एक कैब चालक किसी राहगीर के साथ अस्पताल लेकर पहुंचा था।
अफजाल ने बताया कि जब वह इमरजेंसी में पहुंचा तो अब्दुल्लाह की सांसें चल रही थीं। वह बोल भी रहा था, लेकिन कुछ ही देर बाद उसकी भी मौत हो गई। तौहीद के सिर से खून बहे जा रहा था। बाकी परिजनों को हादसे की सूचना मिली तो अस्पताल में भीड़ जुट गई।