नई दिल्ली । इसरो की पी.ओ.ई.एम पहल के तहत दो भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप ने सफलता हासिल की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिक्ष स्टार्टअप ध्रुव स्पेस ने अपने पी30 सैटेलाइट प्लेटफॉर्म और बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
आईआईएसटी ने की पुष्टि
हैदराबाद स्थित ध्रुव स्पेस ने एक बयान जारी कर कहा कि लॉन्चिंग एक्सपीडिशन फॉर एस्पायरिंग पेलोड्स- टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर के सफल परीक्षण के कारण हमारे उपग्रह मिशन को शुरू करने में मदद मिलेगी। ध्रुव स्पेस का कहना है कि पी-30 प्लेटफॉर्म की मदद से विभिन्न उप-प्रणालियों को कक्षा में स्थापित किया गया, जिसकी पुष्टि तिरुवनंतपुरम स्थित आईआईएसटी के ग्राउंड स्टेशन ने की। आईआईएसटी ने टेलीमेट्री और बीकन डेटा से दावे की पड़ताल की।
स्टार्ट-अप कंपनी ध्रुव स्पेस का कहना है कि वह पहले ही लीप-1 उपग्रह मिशन की कल्पना कर चुके हैं। जल्द ही इसे लॉन्च किया जाएगा। ध्रुव द्वारा होस्ट किए पेलोड को मुख्य अंतरिक्ष यान से स्वतंत्र रूप से संचालित किया जा सकता है। हालांकि, उपग्रह की बिजली आपूर्ति सहित अन्य मामलों ग्राउंड सिस्टम अहम है। कंपनी द्वारा होस्ट की गई पेलोड में कई खूबियां हैं, जिसमें समयसीमा, लागत शामिल है।
बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस के सफलता की डीआरडीओ ने की घोषणा
वहीं, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस के उच्च प्रदर्शन वाली हरित प्रणोदन प्रणाली के सफल परीक्षण की पुष्टि की। बेलाट्रिक्स का यह प्रोजेक्ट डीआरडीओ के प्रौद्योगिकी विकास कोष द्वारा समर्थित था। डीआरडीओ ने एक्स पर ट्वीट कर बताया कि विकसित तकनीक पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित है। इससे उपग्रहों की लागत कम हो जाएगी। यह अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाने में अहम है।
अंतरिक्ष के लिए निजी क्षेत्र की उड़ान
नए साल में करीब 600 भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप नई उड़ान भर सकते हैं। भारतीय कंपनियां पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रह भेजने की क्षमता दिखा सकती हैं। इससे देश में उपग्रह प्रक्षेपण व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा। साल की पहली छमाही में स्काईरूट कंपनी के विक्रम-1 रॉकेट का प्रक्षेपण प्रस्तावित है। इसके अलावा, अग्निकुल कॉसमॉस कंपनी 3डी प्रिंटेड रॉकेट का परीक्षण कर सकती है। पिक्सल कंपनी इस साल 6 और 2025 में 18 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजेगी।