नई दिल्ली। जेल में बंद अरविंद केजरीवाल की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। उत्पाद शुल्क नीति घोटाला में सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल ने अर्जी दी है। आम आदमी पार्टी संयोजक की दोनों याचिकाओं पर जस्टिस सूर्यकांत और उज्ज्वल भुइयां की पीठ सुनवाई करेगी।
दिल्ली हाईकोर्ट खारिज कर चुका है याचिका
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी को वैध ठहराते हुए 5 अगस्त को मुख्यमंत्री की गियाचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई की कार्रवाई गलत नहीं है। क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हुए आप गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े सीबीआई के मामले में केजरीवाल की न्यायिक हिरासत राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 अगस्त तक बढ़ाई है। 5 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया था
यहां CBI ने तर्क दिया था कि AAP संयोजक गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। सीबीआई की दलील को अदालत ने स्वीकार किया था।
केजरीवाल को ईडी मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही अंतरिम जमानत दे चुका है।
निचली अदालत ने केजरीवाल के दी थी जमानत
केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। सुनवाई अदालत ने इस मामले में उन्हें 20 जून को जमानत दे दी थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने सुनवाई अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, 12 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने केजरीवाल को धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत दे दी। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति में संशोधन में अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारियों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।
मानहानि मामले में केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई छह हफ्ते टली
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई छह हफ्ते के लिए टाल दी है, जिसमें उन्होंने मई 2018 में यूट्यूबर ध्रुव राठी का वीडियो साझा करने से संबंधित मानहानि मामले में जारी कई समन बरकरार रखने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने समझौते के लिए कुछ और वक्त मांगा जिसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टि आर महादेवन की पीठ ने मामले पर सुनवाई छह हफ्ते के लिए स्थगित कर दी। सिंघवी ने कहा कि वह (केजरीवाल) वीडियो साझा करने के लिए खेद व्यक्त करते हैं लेकिन यह उनकी (शिकायतकर्ता की) शर्तों पर नहीं हो सकता।