नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में हुई डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में दूसरे दिन भी दिल्ली के सभी अस्पतालों में डॉक्टर हड़ताल पर रहे। इससे अकेले एम्स में करीब 90 फीसदी सर्जरी प्रभावित हुई। वहीं, डॉ. राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग सहित दूसरे अस्पतालों में भी सर्जरी पर असर पड़ा।
हड़ताल की सूचना होने से मंगलवार दिल्ली के अस्पतालों की ओपीडी में कम मरीज पहुंचे। दिल्ली सरकार के ज्यादातर अस्पतालों में मरीजों की संख्या 50 फीसदी से भी कम रही। वहीं, एम्स में मरीजों का आंकड़ा करीब 66 फीसदी रहा। दूसरे दिन भी ओपीडी में मरीजों का इलाज फैकल्टी के सहारे चला। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं सामान्य रूप से चलती रही।
एम्स से मिली जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को 70 मेजर और 13 माइनर ऑपरेशन हुए। इसमें मेन ओटी में चार मेजर और छह माइनर, सर्जिकल ब्लॉक में चार मेजर, मदर एडं चाइल्ड ब्लॉक में 13 मेजर, बीपीएस में एक मेजर, डॉ. आरपी सेंटर में 16 मेजर, सीटीसी में 13 मेजर, एनएससी में दो मेजर, ट्रामा सेंटर में 15 मेजर, एनसीआई में दो मेजर और सात माइनर सर्जरी हुई। वहीं डॉ बी आर अंबेडकर संस्थान रोटरी कैंसर अस्पताल में कोई सर्जरी नहीं हो पाई।
मंगलवार को एम्स में 66 फीसदी मरीज आए। इनकी संख्या 5134 रही। इस दौरान 330 मरीजों को भर्ती किया गया। भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में 65 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। प्रयोगशाला में 25 फीसदी जांच कम हुई। एनआईसी और ट्रामा सेंटर में 17095 जांच हुई। रेडियोलॉजी विभाग में 40 फीसदी जांच कम हुई। न्यूक्लियर मेडिसिन में 20 फीसदी जांच कम हुई। इस दौरान 37 पैट स्कैन हुए। हालांकि आपातकालीन विभाग, आईसीयू और ब्लड बैंक में सुविधाएं सामान्य रही।
रेजिडेंट डॉक्टरों ने किया मरीजों का इलाज
देशभर में चल रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के हड़ताल के बीच मंगलवार को एम्स के बाल रोग विभाग में रेजिडेंट डॉक्टरों ने बच्चों का इलाज किया। डॉक्टरों की माने तो वह हड़ताल पर हैं, लेकिन जो मरीज उनके सामने हैं उन्हें देख रहे हैं। उसके बाद वह चले जाएंगे।
मरीजों ने कहा....नहीं मिला इलाज, फिर आना होगा
कापसहेड़ा बॉर्डर से एम्स में इलाज करवाने आए प्रवीण ने बताया कि पैर में दिक्कत के कारण हड्डी रोग विभाग में आए थे। इससे पहले 10 अगस्त को दिखा कर गए थे। मंगलवार को बुलाया गया था, लेकिन हड़ताल के कारण पर्ची नहीं बनी। ऐसे में उन्हें बिना इलाज करवाए वापस जाना पड़ा।
डॉक्टरों ने नहीं देखा
ग्वालियर से डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में इलाज करवाने आए कमलेश ने बताया कि 2021 में नारायणा रेलवे ट्रैक पर पैर चोट लग गई थी। तभी से यहां इलाज चल रहा है। मंगलवार को सुबह ही अस्पताल आ गए थे, लेकिन डॉक्टर न के न होने से इलाज नहीं हो पाया।
परेशान है बेटा
नांगलोई के प्रेम नगर से आए योगेंद्र ने बताया कि बेटे पंकज का इलाज आरएमएल में चल रहा है। मंगलवार को पेट में नली हटाने के लिए बुलाया गया था, लेकिन हड़ताल के कारण किसी ने देखा ही नहीं। इस नली को हटाने के लिए हम काफी परेशान हो रहे हैं।
अंत में जांच हो ही गई
शामली से आरएमएल अस्पताल में इलाज करवाने आई विमला देवी ने बताया कि मंगलवार को पर्ची बनाने के बाद डॉक्टरों ने जांच करवाने को बोला था। सुबह काफी परेशान हुई लेकिन अंत में जांच हो गई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से की मुलाकात
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस दौरान आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने देशभर के अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने, हिंसा के खिलाफ एक केंद्रीय कानून बनाने और मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के लिए एनएमसी द्वारा सुरक्षा शर्तें लाने की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा गया। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान मंत्री ने आश्वासन दिया है कि सरकार पहली दो मांगों पर विचार करेगी। जबकि उन्होंने सुरक्षा पर एनएमसी की शर्तों को स्वीकार कर लिया है। रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए बेहतर कामकाजी परिस्थितियों और आवास की सुविधा की भी मांग रखी। इस पर मंत्री ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
एम्स परिसर या आसपास न करें प्रदर्शन
एम्स प्रशासन ने प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टरों को अस्पताल परिसर में या इसके आसपास कोई भी प्रदर्शन न करने की चेतावनी दी है। साथ ही कहा कि ऐसा करना हाईकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है और अदालत की अवमानना है। इसे लेकर प्रशासन ने एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अदालत की अवमानना को रोका जाए। साथ ही सभी विभागाध्यक्षों और केंद्र प्रमुखों को प्रतिदिन दोपहर 3 बजे तक रेजिडेंट डॉक्टरों की उपस्थिति की रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है।