नई दिल्ली । मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के निवासियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने अपने आदेश में दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी को सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट तोड़ने और उसे पुनर्निर्माण करने का निर्देश दिया है।
इस दौरान फ्लैट मालिकों को किराए के मकान में रहने के लिए निर्माण कंपनी को 38 और 50 हजार रुपये प्रति माह का भुगतान फ्लैट की श्रेणी के अनुसार करना होगा। अदालत ने अभी भी फ्लैट में रह रहे लोगों को तीन माह के अंदर फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की अदालत ने सोमवार को दिए अपने आदेश में स्पष्ट किया कि निर्माण एजेंसी को प्रति माह किराये का भुगतान तब तक करना है जब तक वह फ्लैट मालिकों को पजेशन नहीं मिल जाता। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने बहुमंजिला सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के घरों के निर्माण में खामियों के संबंध में दिल्ली विकास प्राधिकरण की आंतरिक सतर्कता जांच के संबंध में सीबीआई से स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
नहीं बनेंगे एक्स्ट्रा फ्लैट
दिल्ली विकास प्राधिकरण ने सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के डिमोलिशन के साथ दोबारा बनाए जाने के क्रम में 168 अतिरिक्त फ्लैट बनाए जाने की बात कही थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि कोई अतिरिक्त फ्लैट नहीं बनेगा। ताकि वर्तमान के फ्लैट मालिकों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्हें जितने सुविधा पहले दी गई थी उतनी ही सुविधाओं को दोबारा बरकरार रखना होगा।
दीवारों में आ गई थीं दरारें
डीडीए ने वर्ष 2010 में मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट में 336 एचआईजी और एमआईजी फ्लैट का आवंटन किया था। जून 2012 में इन फ्लैटों पर आवेदकों को कब्जा मिला, लेकिन जल्द ही अधिकांश फ्लैटों की छत से प्लास्टर झड़ने लगा और दीवारों में दरारें आ गईं। इसकी शिकायत मिलने पर डीडीए ने वर्ष 2015-16 में फ्लैटों की मरम्मत कराई। मगर इन फ्लैटों में जगह-जगह दरारें आने पर आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर शशांक बिश्नोई और सीमेंट कंपनी ने इस अपार्टमेंट की जांच की। जांच में इन फ्लैटों में इस्तेमाल निर्माण सामग्री घटिया पाई गई। इसके बाद सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को ध्वस्त कर दोबारा बनाने का निर्णय लिया गया।