दिल्ली । वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा...हवन-पूजन हो चुका है। पंडित जी से आशीर्वाद लेने और चरणामृत व प्रसाद ग्रहण करने के बाद नामांकन के लिए निकले तो समर्थकों ने जोश के साथ नारे लगाए...हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की।
यह नजारा है कभी वामपंथ की राह पर चलकर सियासी रसूख हासिल करने वाले कांग्रेस के उम्मीदवार कन्हैया कुमार के जुलूस का। वे भाषण देते हैं तो कहते हैं--मैं कन्हैया हूं। जेल से लौटा हूं। सियासी विरोधियों से निपटने की कला मुझे आती है। समर्थक फिर पूरे जोश के साथ नारे लगाने लगते हैं-हाथी घोड़ा पालकी...और जुलूस आगे बढ़ जाता है।
यह वाकई न्यू नॉर्मल दौर है। नेता, अभिनेताओं से ज्यादा प्रभावी एक्टिंग कर रहे हैं। सच और झूठ के बीच इतना गहरा कुहासा है कि दोनों की अगल-अलग शिनाख्त नामुमकिन सी हो गई है। दिल्ली की नार्थ ईस्ट लोकसभा सीट का सियासी परिदृश्य भी रोज इस दौर के नए रंग दिखा रहा है। मिथकों के सहारे सियासत करने वाली पार्टी और उसके उम्मीदवार पीछे रह गए हैं। वहीं, मिथकों से दूर रहने का दम भरने वाले वामपंथी रुझान के कन्हैया कुमार ने इसे अपना हथियार बना लिया है। कन्हैया के भाषणों में कृष्ण एक ऐसे रूपक की तरह उपस्थित हैं, जो करुणानिधान भी हैं और कठोर भी। यही वजह है कि 2014 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर भाजपा के मनोज तिवारी के लिए मिथकों की इस रणनीति का तोड़ तलाशना आसान नहीं दिख रहा।
दिल्ली की इस लोकसभा सीट की सामाजिक संरचना खासी विविधतापूर्ण है। इस क्षेत्र में पूर्वांचल के लोगों की बड़ी आबादी के कारण मनोज तिवारी की राह पिछले दो बार से आसान रही है, लेकिन अबकी बार कहानी कुछ उलझ गई लगती है।
मनोज तिवारी के समर्थक भले दावा करें कि उन्होंने पिछले पांच साल में बहुत काम कराए हैं, मगर इलाके के लोग इससे संतुष्ट नजर नहीं आते। अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा लंबे समय से लंबित चल रहा है। समाधान को लेकर विभिन्न स्तरों पर पहल तो होती रही है, लेकिन इसका कोई ठोस हल अब भी नहीं हो पाया है। दस साल पहले मुंगेर से दिल्ली आए रामखिलावन वजीराबाद की एक संकरी गली में परिवार सहित रहते हैं। इलाके का हाल पूछने पर पलट कर कहते हैं-कभी बरसात के दिनों में इस तरफ आइए। नालियों का पानी सड़क पर आ जाए तो फिर घंटों नहीं जाता।
इसके अलावा, जातियों और बिरादरियों का गणित भी नए समीकरण बना रहा है। 18 फीसदी ब्राह्मण और पांच फीसदी पंजाबी भाजपा की ताकत हैं, तो 21 फीसदी पिछड़ा वर्ग और करीब इतने ही फीसदी मुस्लिम वोटों पर कन्हैया कुमार की नजर है। अनुसूचित जाति के 17 फीसदी वोटों को अपने पाले में खींचने के लिए दोनों ही दल एक किए हुए हैं और इस वर्ग के वोटों में बंटवारे के भी पूरे आसार हैं। कन्हैया को एक फायदा कांग्रेस के आम आदमी पार्टी के साथ हुए समझौते का भी मिलता दिख रहा है। दिल्ली में निम्न आय वर्ग में आप पार्टी की पकड़ कहीं ज्यादा मजबूत मानी है और इस पूरे लोकसभा क्षेत्र में इसी वर्ग के लोगों की बहुलता है। सीलमपुर हो, मुस्तफाबाद हो, तीमारपुर हो या फिर सीमापुरी, ज्यादातर इलाकों में छोटे-मोटे काम धंधे के सहारे जिंदगी गुजारने वाले लोगों का ही वर्चस्व है। लेकिन, भाजपा का कोर वोटर मनोज तिवारी के साथ डटा है। यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
मनोज के समर्थक काम के भरोसे, कन्हैया नाराजगी के
कन्हैया कुमार की टीम की ओर से कितना ही माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा हो मगर मनोज तिवारी के समर्थक आश्वस्त हैं कि पिछले दस साल में उन्होंने जितना काम किया है उसके दम पर जनता का भरपूर समर्थन मिलना तय है।
यमुना नदी पर बना सिग्नेचर ब्रिज उत्तर पूर्वी संसदीय क्षेत्र की पहचान बनता जा रहा है। इससे न सिर्फ लोगों की आवाजाही आसान हुई है, बल्कि इसका बेहतरीन ढांचा लुभाता भी है। दूसरी तरफ नदी के किनारे विकसित यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क यमुना को निर्मल करने की उम्मीद जगाता है।
उनकी टीम के आनंद त्रिवेदी कहते हैं, मनोज तिवारी ने अपने इलाके में 14 हजार करोड़ से ज्यादा के विकास कार्य कराए हैं। इसके अलावा शाहदरा में केंद्रीय विद्यालय खुलवाया गया है। पासपोर्ट ऑफिस खुलवाया गया है। वजीराबाद में ट्रिपल डेकर फ्लाईओवर बन रहा है। इसके बाद इलाके में जाम की समस्या खत्म हो जाएगी। ऐसे में किसी की नाराजगी का सवाल ही नहीं उठाता है। चुनाव महज औपचारिकता है। जीत तय है।
सोशल मीडिया के दुलारे
इस सीट की चुनावी जंग गलियों- मोहल्लों और सड़कों के साथ आभासी दुनिया में भी जमकर लड़ी जा रही है। दोनों प्रत्याशी सोशल मीडिया के दुलारे हैं व उनकी टीम के लोग इस माध्यम की अहमियत को भी जानते हैं। पिछले दिनों इंस्टाग्राम पर डाले गए मनोज तिवारी के एक वीडियो को 12 लाख से ज्यादा व्यूज मिले, तो कन्हैया के अकाउंट से दम है कितना दमन में तेरे शीर्षक से जारी रील को 24 घंटे में करीब 15 लाख लोगों ने देखा और सवा लाख ने लाइक भी किया। कोई भी नई रील या पोस्ट सामने आते ही दोनों के समर्थकों में उसे आगे बढ़ाने की जैसे होड़ सी लग जाती है।
पीछा नहीं छोड़ रहा टुकड़े-टुकड़े गैंग
राष्ट्रवाद की पिच पर खेलने में सिद्धहस्त भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर कन्हैया कुमार को उनके जेएनयू वाली वीडियो क्लिप के आधार पर घेरने में जुटी है। पार्टी नेता विभिन्न मंचों पर वीडियो का हवाला देते हुए उनको देशद्रोही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कन्हैया कुमार ने भी इस मुद्दे पर हमलावर रुख अपना रखा है।
उनका सीधा तर्क होता है कि मैंने अगर कुछ गलत किया है तो मैं बाहर क्यों हूं। सरकार ने अब तक जेल में क्यों नहीं डाला। कन्हैया की टीम के सक्षम त्रिपाठी कहते हैं, अब वह बात पुरानी हुई। जनता असलियत जान चुकी है।
सामाजिक समीकरण
मुस्लिम 21.50%
पिछड़ा वर्ग 21.00%
ब्राह्मण 18.00%
अनुसूचित जाति 17.00%
गुर्जर 5.50%
वैश्य 5.00%
पंजाबी 5.00%
जाट 4.00%