ग्रेटर नोएडा। कंबोडिया में बैठकर भारत के लोगों से 100 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह के तीन लोगों को सोमवार को बिसरख पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनमें एक चीनी, एक नेपाली और एक भारतीय शामिल है।
गिरोह में 20 से ज्यादा भारतीय शामिल हैं। आरोपी नामी कंपनियों का डाटा खरीदते थे। इस डाटा के जरिए सिम कार्ड हासिल करते थे।
साइबर ठग शेयर मार्केट में निवेश, गेमिंग एप से पैसा कमाने के नाम पर लिंक भेजकर ठगी करते थे। पुलिस ने घटना की जानकारी कंबोडिया दूतावास को दे दी है। आरोपियों के पास से फर्जी आईडी पर लिए 531 सिमकार्ड सहित कई देशों की मुद्रा, पासपोर्ट, मोबाइल, क्रेडिट कार्ड व स्टांप आदि बरामद किए गए हैं। यह लोग एक साल से साइबर ठगी को अंजाम दे रहे थे। पुलिस तीनों को रिमांड पर लेकर उनसे और राज उगलवाने की तैयारी कर रही है। चीनी नागरिक के इस मामले में शामिल होने के चलते पुलिस ठगी का चीन से कनेक्शन की भी जांच कर रही है। चूंकि मुख्य सरगना चीनी आरोपी ही है।
डीसपी सेंट्रल सुनिति ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित गौड़ सिटी मॉल के पास होटल में रहने वाले कुछ लोग साइबर ठगी में शामिल हैं। पुलिस ने सोमवार को यहां से चीन में अन्हुई प्रांत के शुजू सिटी निवासी शू यूमिंग, नेपाल के जिला खोरखा के गांव मुच्चोक निवासी अनिल थापा और गेटर नोएडा के दादरी के गांव कटहैरा निवासी विनोद उर्फ अगस्त्या भाटी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि नेपाल का अनिल थापा चीनी भाषा जानता है और वह नेपाल में ही चीनी नागरिक शू यूमिंग के संपर्क में आया।
इसके बाद अनिल थापा ही चीनी नागरिक को अवैध तरीके से भारत लेकर आया। यहां पर दादरी के कठेहरा निवासी विनोद भाटी के संपर्क में आए जो युवाओं को नौकरी के लिए विदेश भेजता था। विनोद भाटी की मदद से आरोपियों ने फर्जी आईडी पर सिम कार्ड खरीदने शुरू कर दिए। इन सिम कार्डोंं को यह लोग कूरियर के जरिए कंबोडिया भेजते। विनोद भाटी ने मोटे वेतन पर नौकरी के नाम पर 20 से ज्यादा युवकों को कंबोडिया भेजा और वहां पर अपने ठगी के धंधे में फंसा लिया। जिन युवकों को कंबोडिया भेजा उनमें गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा-दादरी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान समेत अन्य राज्यों के युवक शामिल हैं।
कंबोडिया में बैठे भारतीय युवक वहां से भारत में लोगों को फोन करके शेयर बजार में निवेश कराने का लालच देते हैं और उनसे गेमिंग एप डाउन लोड कराकर लिंक भेज देते थे। इस जाल में जो लोग फंस जाते वह जब लिंक खोलते तो मोबाइल पूरी तरह साइबर अपराधियों के हाथ में आ जाता। इसके बाद मोबाइल पर मैसेज आने वाले से लेकर अन्य सभी काम वह स्वयं करते। जबकि लोग उस दौरान मोबाइल को हैंग होना मानते रहे। इसी दौरान साइबर अपराधी ठगी को अंजाम देते। पुलिस और साइबर क्राइम शाखा इस तरह की ठगी की शिकायतों की जांच कर रही थी। इन आरोपियों ने नोएडा के सेक्टर-18 में कंसलटेंसी फर्म के नाम पर आफिस खोल रखा था और यहीं पर बैठकर फर्जी सिम कार्ड जुटाते थे। जब यहां पर काफी काम कर दिया और डर सताने लगा तो उसे बंद करके ग्रेनो वेस्ट में भी आफिस खोलने की तैयारी की थी।
पुलिस ने साइबर ठगों के अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सदस्यों को पकड़ा है। पूछताछ में आरोपियों के सहयोगी नेपाल निवासी घनश्याम, गणेश, विष्णु, उमेश आचार्य के नाम भी आए हैं। एक नाम भारत के इमरान भी सामने आया है। इनकी भूमिका की जांच की जा रही है। - सुनीति, डीसीपी सेंट्रल, गौतमबुद्ध नगर
यह माल हुआ बरामद
फर्जी आईडी पर लिए 531 सिम कार्ड, 4 पासपोर्ट, 9 मोबाइल, 2 ड्राइविंग लाइसेंस, 11435 नेपाली रुपये , 2 अमेरिकी डालर, 5 सउदी दिरम, 150 थाईलैंड की मुद्रा, 5 युआन, 2100 रियल (कंबोडिया करंसी) व 94 हजार भारतीय रुपये, 3 भारतीय निजी बैंक की चेक बुक, एक डायरी, एक नेपाली नागरिकता का पत्र, एक एयर इंडिया का टिकट, एक शंघाई होंगे किआओ का बोर्डिंग पास, एक स्टांप मुहर, 10 क्रेडिट कार्ड
इस तरह करते थे अपराध
भारत की नामी कंपनियों का पर्सनल डाटा हासिल करते
इसी डाटा के आधार पर गलत तरीके से सिम कार्ड प्राप्त करते
सिम कार्ड पर व्हाट्सएप डाउन लोड करके, कंबोडिया से उसका लिंक भेज कर भारतीयों से ठगी