नई दिल्ली । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों ने आजादी की पहली सूचना जिस कमरे में दी थी, वह आज भी उनके होने का अहसास कराता है। अंग्रेज अधिकारियों के साथ उनकी इस मुलाकात की तस्वीरें भले ही धुंधली होने लगी हैं, लेकिन कमरे में घुसते ही उस दौर की यादें ताजा कर देती हैं।
नई दिल्ली इलाके के मंदिर मार्ग स्थित महर्षि वाल्मीकि मंदिर के बापू निवास में एक अलग सा सन्नाटा पसरा है।
उनके बिस्तर को सफेद चादर से लपेट कर रखा है। लेकिन, कमरे में बापू का इस्तेमाल किया टेबल। उस पर कलम और पेन स्टैंड। एक प्रतीकात्मक चरखा। दूसरी ओर उनका सिंघासन। उसके ठीक पीछे ब्लैक बोर्ड। यह नजारा बापू की यादों को समेटे है।
कमरे में उनसे जुड़ी चीजें व तस्वीरों आज भी संजोकर रखी गई हैं। बापू ने यहां एक अप्रैल 1946 से जून 1947 के बीच 214 दिन गुजारे थे। इस निवास को देसी ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक आज भी बापू को याद करते हुए उनके भवन का पता खोजते हुए पहुंचते हैं। कुछ लोग उनके बारे में जानने के लिए आते हैं। खिड़की से आती हल्की से रोशनी मानों लोगों को अपनी ओर खींच रही है। गांधी जयंती की तैयारी भी पूरी हो गई है। कमरे में रंग रोगन किया है। जानकारी के मुताबिक बापू की भजन-कीर्तन में भी रुचि थी। यही कारण था कि यहां ठहरने के दौरान शाम में मंदिर के प्रांगण में चबूतरे पर बैठ कबीर भजन, गीता पाठ करते थे। यह चबूतरा आज भी मौजूद है।
जिस ब्लैकबोर्ड में पढ़ाते थे वह भी है मौजूद
कमरे के अंदर बना ब्लैक बोर्ड अब भी मौजूद है। हालांकि, उस पर समय-समय पर काला पेंट किया है। इसमें वह बच्चों को पढ़ाते थे। मंदिर से जुड़े पदाधिकारी बताते हैं कि यहां गांधी जी के पढ़ाने से पहले ही बच्चों को पढ़ाया जाता था। लेकिन, गांधी जी के आने के बाद स्कूल की गतिविधि कम हो गई थी। इसे देखते हुए बापू ने खुद बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा देना शुरू किया था। गांधी आस-पास की बस्ती में घूमने जाते थे, तो वहां के बच्चे उनसे लिपट जाते थे। ऐसे में उन्होंने बच्चों को कमरे में ही पढ़ाना जारी रखा। जब तक गांधी यहां थे तब तक बच्चे उनसे पढ़ने आते रहे।
अंग्रेज अधिकारी ही नहीं, देश के चोटी के नेता भी मिलने पहुंचते थे
बापू से मिलने के लिए उस समय अंग्रेज अधिकारी ही नहीं, देश के सर्वोच्च नेता भी यहां पहुंचते थे। इसकी एक बानगी यहां दीवारों पर लगी तस्वीरें बता रही हैं। दीवार पर लार्ड माउंटबेटन व लेडी माउंटबेटन, लार्ड पैथिक लॉरेंस, खान अब्दुल गफ्फार खान, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, सुचेता कृपलानी सहित कई नेता उनसे मिलने पहुंचते थे। बापू भवन की देख-रेख कर रहे पदाधिकारी बताते हैं कि उनका कमरा जैसे पहले था, वैसे ही अब भी है। कमरे की रोजाना साफ-सफाई होती है। यह सभी दिन खुला रहता है। लेकिन, शाम सात बजे बंद हो जाता है।
जिस कमरे में बापू रुके थे, पहले उसमें वाल्मीकि समाज के साधु-संत रहते थे। यहां एक स्कूल भी संचालित होता था, जिनके बच्चों को गांधीजी ने पढ़ाने की इच्छा भी जताई थी। रोजाना सुबह उठकर स्नान के बाद वह मंदिर के प्रांगण में ध्यान लगाते थे। इसके बाद वह मिलने आए लोगों से मिलते थे। गांधी जी बहुत ही सादगी वाले इंसान थे। यह मंदिर 1933 से पहले से स्थापित है।