नई दिल्ली । रोगों की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का इस्तेमाल बढ़ रहा है। मेडिकल छात्रों में इसे सीखने की ललक होनी चाहिए। यह कहना है भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का। सोमवार को नई दिल्ली में डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल से संबंधित अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान के 10वें दीक्षांत समारोह में मेडल पाने वाले सभी छात्रों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को रिसर्च पढ़ते रहना चाहिए।
इसके बारे में सीखना चाहिए। इसकी मदद से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा। वहीं टेलीमेडिसिन की मदद से देश के दूर-दराज क्षेत्रों में गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सुविधा पहुंची है।
इस दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए ताकि महिलाओं की सार्वजनिक जीवन को बेहतर किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल के साथ दो महापुरुषों का नाम जुड़ा हुआ है। डॉ. राम मनोहर लोहिया और अटल बिहारी वाजपेयी। छात्रों को इसके आदर्श के अनुरूप काम करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टरों को मरीज के साथ अपनत्व का भाव रखना चाहिए। मरीजों को दवा और परामर्श के साथ हीलिंग टच भी देना चाहिए। देश में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है।
तीमारदार समझें डॉक्टर की परेशानी
राष्ट्रपति ने कहा कि तीमारदारों को डॉक्टर की परेशानी समझनी चाहिए। वह मरीज का हित ही चाहते हैं। लेकिन देखा गया है कि वह स्वास्थ्य कर्मी के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। यह गलत और निंदनीय है। कभी स्वास्थ्य कर्मी के साथ गलत नहीं करना चाहिए।
स्वास्थ्य सेवा में आया बदलाव
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दस सालों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आया है। देश में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य मेडिकल पॉलिसी की सुविधा चल रही है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ी है। छात्रों के लिए मेडिकल सीटे दोगुनी से ज्यादा बढ़ी हैँ।