उच्च न्यायालय ने देश में 23 क्रूर कुत्तों की नस्लों पर प्रतिबंध लगाने वाली हालिया अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने यह स्वीकार करने के बावजूद कि अन्य उच्च न्यायालयों ने ऐसी राहत दी है, अधिसूचना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक कुत्ता प्रशिक्षक है और दूसरा विशेष श्रेणी के कुत्तों का एक डॉक्टर है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि भारत में इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया था कि कुत्तों की नस्लें क्रूर थीं और उन पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा, ऐसा कोई डेटा नहीं है, जो इंगित करता हो कि इन कुत्तों ने आतंक पैदा किया है, जिसकी वजह से उन पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता हो।
23 कुत्तों की नस्लों पर एक मनमाना और पूर्ण प्रतिबंध भारत के संविधान का उल्लंघन है। इस तरह के तत्काल और अचानक प्रतिबंध के परिणामस्वरूप बिना किसी काटने के इतिहास वाले कुत्तों के लिए जबरन पीड़ा और/या इच्छामृत्यु हो सकती है। उन्होंने तर्क दिया कि केन कोरसो, रॉटवीलर, टेरियर आदि जैसे विशिष्ट कुत्तों की नस्लों के प्रजनन पर प्रतिबंध में किसी तर्कसंगत आधार या वैज्ञानिक औचित्य का अभाव है।