वाशिंगटन । अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। इस बीच, चुनाव के मद्देनजर महत्वपूर्ण राज्य एरिजोना की शीर्ष अदालत ने एक फैसला सुनाया, जो चुनाव के दौरान अहम मुद्दा बन सकता है। दरअसल, राज्य की शीर्ष अदालत ने मंगलवार को गर्भपात पर करीब 160 साल पुराने पूर्ण प्रतिबंध को बरकरार रखा है।
कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाकर गर्भपात कराने वाले वाले डॉक्टरों को पांच साल की जेल हो सकती है। बाइडन ने कोर्ट के फैसले को कूर प्रतिबंध बताते हुए निंदा की है। एरिजोना कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के 2022 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें गर्भपात पहुंच की राष्ट्रव्यापी गारंटी को खत्म कर दिया गया था।
कोर्ट के फैसले को स्वतंत्रता का अपमान बताया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डेमोक्रेट समर्थक अटॉर्नी जनरल क्रिस मेयस ने कसम खाई है कि वह उस फैसले को लागू नहीं करेंगी। उन्होंने कोर्ट के इस फैसले को अचेतन और स्वतंत्रता का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि कानून का मसौदा 160 साल पहले तैयार किया गया था। तब एरिजोना एक अलग राज्य नहीं था। गृह युद्ध चल रहा था। उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं को वोट देने का भी अधिकार नहीं था। वह समय अमेरिका के इतिहास में काले कानून के रूप में होगा। उन्होंने कहा कि जब तक मैं इस राज्य की अटॉर्नी जनरल हूं, तब तक राज्य की किसी भी महिला और किसी भी डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
राष्ट्रपति बाइडन ने भी किया विरोध
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि रिपब्लिकन महिलाओं के अधिकारों को छीन रहे हैं। बाइडन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि लाखों एरिजोनावासी गर्भपात के प्रतिबंधों के तहत रहेंगे। बाइडन ने कहा कि अगर वे एक बार फिर से राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाते हैं और अगर डेमोक्रेट नेताओं को कांग्रेस में बहुमत मिलता है तो हम संघीय गर्भपात अधिकारों को फिर से कानून बनाने पर जोर देंगे।
अमेरिका में हर पांच में से एक गर्भवती ने कराया गर्भपात
अमेरिका में गर्भपात कराने के मामले बढ़ गए हैं। अधिकृत आंकड़ों के मुताबिक, लंबे समय तक मामले कम रहने के बाद देश में गर्भपात की संख्या 2017 की तुलना में 2020 में बढ़ गई। रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में हर पांच गर्भवती महिलाओं में से एक ने गर्भपात कराया। गर्भपात अधिकारों का समर्थन करने वाले एक शोध समूह ‘गुट्टमाकर इंस्टीट्यूट’ की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में अमेरिका में 9,30,000 से अधिक गर्भपात के मामले सामने आए जबकि यह आंकड़ा 2017 में करीब 8,62,000 था ।