आगरा। यमुना का डूब क्षेत्र तय होने के बाद वे लोग घबरा रहे हैं, जिनकी कॉलोनियां यमुना किनारे या आसपास बनी हुई हैं। तो ऐसे में उन्हें सलाह दी गई है कि वे घबराएं नहीं। क्योंकि यमुना के दोनों किनारों पर हर 200 मीटर दूरी का डूब क्षेत्र तय किया गया है।
उत्तर प्रदेश के 17 जिलों से गुजर रही यमुना नदी के डूब क्षेत्र का निर्धारण होने के बाद इसके किनारे बनी कॉलोनियों में रहने वालों में घबराहट है, लेकिन उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। 100 सालों की बाढ़ के आधार पर यमुना के दोनों किनारों पर हर 200 मीटर दूरी का डूब क्षेत्र तय किया गया है। यह अलग-अलग भी हो सकता है। यमुना के दायीं ओर अधिकतम 5.09 किमी और बायीं ओर 2.55 किमी तक है। हर 200 मीटर हिस्से के लिए तय किए गए डूब क्षेत्र के अक्षांश और देशांतर भू-निर्देशांक (जिओ कॉर्डिनेटस) से कॉलोनियों और जमीनों की जानकारी ली जा सकती है।
आगरा के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर याचिका में प्रदेश सरकार ने यमुना नदी के डूब क्षेत्रों की अधिसूचना जारी की है। असगरपुर से इटावा तक 526.97 किमी और शाहपुर से 453.88 किमी के हिस्से के साथ इटावा और शाहपुर के बीच 75 किमी के हिस्से को भी डूब क्षेत्र में तय किया गया है। सभी 17 जिलों में 200 मीटर की दूरी पर ही जिओ कॉर्डिनेट्स तय किए गए हैं, जो डूब क्षेत्र की जानकारी यमुना के दोनों ओर देंगे। इसका पूरा ब्योरा केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट में दिया गया है।
आगरा में 167.6 किमी हिस्सा डूब क्षेत्र
केंद्रीय जल आयोग ने 8 विभागों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर 100 साल की बाढ़ का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें एक से 5 वर्ष, 5 से 25 और 25 से 100 साल के बीच आई बाढ़ में डूबे क्षेत्रों का ब्योरा दिया गया है। 100 सालों की बाढ़ के आधार पर आगरा में 167.6 किमी हिस्सा डूब क्षेत्र में है। 4032 वर्ग किमी में फैले आगरा का 4.1 फीसदी हिस्सा बाढ़ का शिकार हुआ था। मथुरा में 287.7 किमी हिस्सा डूब क्षेत्र में है, जो जिले का 8.6 फीसदी है। इसी तरह फिरोजाबाद में 56.8 किमी हिस्सा डूब क्षेत्र है, जो पूरे जिले का केवल 2.3 फीसदी रहेगा। यहां 1.90 किमी दूरी तक अधिकतम डूब क्षेत्र तय किया गया है।
सरकार चाहे तो कराए वेरिफिकेशन
केंद्रीय जल आयोग ने सेटेलाइट और 100 साल की बाढ़ के अध्ययन के बाद तय किए यमुना नदी के डूब क्षेत्र पर अपनी सिफारिश में कहा है कि प्रदेश सरकार चाहे तो यमुना नदी के डूब क्षेत्र में तय किए गए जिओ कॉर्डिनेटस का ग्राउंड ट्रुथ वेरिफिकेशन करा सकती है। इसी आधार पर हर 200 मीटर दूरी पर पिलर लगाकर पहचान की सिफारिश की गई है। आगरा में यह जिओ कॉर्डिनेट्स 1404 से शुरू होकर 3524 तक रखे गए हैं। इनकी संख्या 2120 है।
आनंदी भैंरों, रहनकलां पर पड़ेगा असर
यमुना नदी का डूब क्षेत्र तय होने से आनंदी भैंरों पर प्रस्तावित पुल के कारण कॉलोनी बनाने के लिए खरीदी गई जमीनों और रहनकलां व मदरा में प्रस्तावित नए शहर की योजना पर असर पड़ सकता है। इन दोनों ही जगहों पर यमुना नदी के खादर तक जमीनों की खरीद फरोख्त हाल में ही हुई है। आनंदी भैंरों में यमुना पार बीते तीन माह में जमीनों की रजिस्ट्री बिल्डरों ने कराई है। दयालबाग, नगला बूढ़ी से सटी जमीनों पर बड़ी कॉलोनियों को प्रस्तावित किया गया है।
गुमराह नहीं कर पाएंगे अधिकारी
याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि यमुना की तलहटी में भी निर्माण किए गए हैं। यमुना की बाढ़ हर 200 मीटर में जहां तक पहुंची, अब वही उसका डूब क्षेत्र तय किया गया है। इससे अधिकारी गुमराह नहीं कर पाएंगे और मोबाइल से ही जिओ कॉर्डिनेट्स से स्थिति पल भर में स्पष्ट हो जाएगी।