प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अहम फैसले लेने वाली सुरक्षा मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) से जुड़े रक्षा, गृह, विदेश और वित्त मंत्रालयों को भाजपा नेताओं को ही सौंपा है। रक्षा मंत्रालय राजनाथ सिंह, गृह मंत्रालय अमित शाह, विदेश मंत्रालय एस जयशंकर और वित्त मंत्रालय निर्मला सीतारमण को दिया गया है।
2009 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार के दौरान ये अहम मंत्रालय कांग्रेस ने भी अपने पास ही रखे थे।
वहीं, एनडीए की पहली सरकार जब बनी थी, तो इन मंत्रालयों को गठबंधन के साथियों के साथ बांटा गया था। लेकिन, 2014 से 2019 के दौरान एनडीए के दो कार्यकाल में चारों मंत्रालय भाजपा के पास रहे, क्योंकि भाजपा के पास पू्र्ण बहुमत था। हालांकि, इस बार नतीजों के तुरंत बाद कयास लगाए जा रहे थे कि इन मंत्रालयों में से एक-एक मंत्रालय गठबंधन के सबसे बड़े साथी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) मांग सकते हैं। लेकिन, कयासों के विपरीत इस मामले में अमर उजाला के अनुमान के मुताबिक चारों मंत्रालयों में बिना कोई बदलाव किए पीएम मोदी ने साफ संदेश दिया है कि गठबंधन सरकार के बावजूद उनके तीसरे कार्यकाल में भी पहले दो कार्यकाल की तरह तेजी से फैसले लिए जाएंगे।
पीएम ने अपनी विश्वसनीय कोर टीम को पुराने मंत्रालय सौंपकर साफ कर दिया कि पिछली नीतियों को आगे बढ़ाया जाएगा। गठबंधन सरकार होने के बावजूद नीतियों व सुधारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
भाजपा के लिए सीसीएस पर नियंत्रण क्यों जरूरी
फैसले बिना दबाव: सीसीएस के सभी मंत्रालय भाजपा के हाथ में रहने से पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अहम फैसले बिना दबाव ले पाएगी। यह केंद्रीकृत नियंत्रण आंतरिक असंतोष के जोखिम को भी कम करता है और यह सुनिश्चित करता है कि पार्टी की रणनीतियों को गठबंधन सहयोगियों के विरोध के बिना लागू किया जा सके। मौजूदा खंडित राजनीतिक परिदृश्य में यह बेहद अहम संकेत है। संक्षेप में कहें, तो सीसीएस से जुड़े प्रमुख मंत्रालयों को अपने हाथ में बनाए रखने से न केवल पार्टी की आंतरिक सामंजस्य और निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होगी, बल्कि इसकी सार्वजनिक छवि और चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति: सभी सीसीएस सदस्य भाजपा से होने के कारण, पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक सुसंगत दृष्टिकोण बना पाएगी। संकट के समय में त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने के लिए यह एकरूपता बेहद जरूरी है।
चुनावी लाभ: राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा और मजबूत शासन ऐसे विषय हैं, जिन्हें लेकर भाजपा को वोट देने वाले लोग संवेदनशील हैं। इन अहम मंत्रालयों को नियंत्रित करके, पार्टी प्रभावी रूप से यह संदेश दे पाएगी कि जो उनकी सरकार के केंद्रीय तत्व हैं, वे उनके हाथ में हैं। इसके साथ ही बेहतर शासन करने और त्वरित निर्णय लेने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकती है, जो राज्य विधानसभा चुनावों की अगुवाई में विशेष रूप से फायदेमंद है।
नीतिगत निष्क्रियता से निजात: गठबंधन की राजनीति अप्रत्याशित होती है, यहां साझेदारों की प्राथमिकताएं अलग-अलग होती हैं, जिसकी वजह से अक्सर सरकार नीतिगत निष्क्रियता की शिकार हो जाती हैं। लेकिन, सीसीएस मंत्राललोकसभा का पहला सत्र 18 से यों को अपने हाथ में रखकर भाजपा सरकार को नीतिगत निष्क्रियता या हितों के टकराव के जोखिम से बचा पाएगी।