नई दिल्ली। 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को अपनाने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता जताई थी।
इन लक्ष्यों में गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, जलवायु परिवर्तन से निपटना और सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित करना शामिल था। अब डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने इन लक्ष्यों से हाथ खींच लिया है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को अपनाने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता जताई थी। इन लक्ष्यों में गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, जलवायु परिवर्तन से निपटना और सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित करना शामिल था। हालांकि, अब डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने इन लक्ष्यों की आलोचना करते हुए अमेरिका को इससे अलग कर लिया। इस फैसले का वैश्विक प्रभाव क्या है? आइए समझते हैं।
सतत विकास लक्ष्य और अमेरिका की भागीदारी
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों ने 17 सतत विकास लक्ष्यों को सर्वसम्मति से अपनाया था। इनमें सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वच्छ जल और स्वच्छता, आर्थिक विकास, और वैश्विक शांति को बढ़ावा देने जैसे उद्देश्य शामिल थे। ओबामा प्रशासन ने इन लक्ष्यों को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभाई, लेकिन ट्रम्प प्रशासन के सत्ता में आते ही अमेरिका ने इससे दूरी बना ली।
ट्रम्प प्रशासन का विरोध और तर्क
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन के मंत्री-परामर्शदाता एडवर्ड हार्टनी ने 2030 एजेंडा को अमेरिका की संप्रभुता के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि यह अमेरिकी हितों और अधिकारों के अनुरूप नहीं है। इसके अलावा, ट्रम्प प्रशासन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों को भी कमजोर किया, जिसमें 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका का बाहर निकलना शामिल था।
वैश्विक प्रभाव और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 2015 में सभी 193 देशों ने SDGs को अपनाया था और 2030 तक उन्हें हासिल करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई थी। ट्रम्प प्रशासन की नीति वैश्विक सहयोग और सतत विकास के सिद्धांतों के विपरीत थी, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठे।
बाइडन प्रशासन के दौरान इन लक्ष्यों पर क्या हुआ
2020 में जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने सतत विकास लक्ष्यों के समर्थन को दोबारा बहाल किया। बाइडन प्रशासन ने कांग्रेस को यह भी बताया कि अमेरिका किस तरह इन 17 लक्ष्यों को हासिल करने में योगदान दे रहा है। इससे संकेत मिलता है कि अमेरिका फिर से वैश्विक विकास एजेंडा का हिस्सा बनने को तैयार है।
ट्रम्प प्रशासन का सतत विकास लक्ष्यों से पीछे हटना न केवल अमेरिकी नीति में बदलाव को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक लक्ष्यों की दिशा में सहयोग की अहमियत को भी उजागर करता है। अब यह देखना होगा कि भविष्य में अमेरिका इस दिशा में कितनी गंभीरता से काम करता है।