नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को सार्वजनिक प्राधिकरण मानते हुए आरटीआई कानून के दायरे में लाने की मांग करने वाली कई याचिकाओं के समूह पर सुनवाई कर रहा है। इस मामले में कांग्रेस और भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई एक्ट) के दायरे में लाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई अप्रैल में करने का फैसला लिया है। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने सभी पक्षों से कहा कि इस मामले से जुड़े सारे अनुरोध तब तक पूरे कर लें।
कोर्ट 21 अप्रैल से आरंभ हो रहे सप्ताह में मामले की सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को सार्वजनिक प्राधिकरण मानते हुए आरटीआई कानून के दायरे में लाने की मांग करने वाली कई याचिकाओं के समूह पर सुनवाई कर रहा है। इस मामले में कांग्रेस और भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाया गया है।
गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स समेत अन्य की ओर से दायर इन याचिकाओं में कहा गया है कि केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) ने 2013 और 2015 में अपने आदेश में कहा है कि सरकार से टैक्स छूट समेत अन्य लाभ लेने वाले राजनीतिक दलों को राजनीतिक प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए आरटीआई के दायरे में लाना चाहिए।
याचिका पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि वह राजनीतिक दलों के वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता की पक्षधर है लेकिन इस बात के पक्ष में नहीं है कि दलों को उनके आंतरिक फैसलों के बारे में बताने के लिए मजबूर किया जाए जिसमें ऐसे फैसले भी शामिल हैं कि किसी व्यक्ति को पार्टी की ओर से क्यों उम्मीदवार घोषित किया गया। केंद्र सरकार ने कोर्ट को कहा कि सभी राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए रिट याचिका दायर के लिए सीआईसी के एक फैसले को आधार नहीं बनाया जाना चाहिए।