जयपुर । पूर्वी राजस्थान, मध्यप्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्रों के 13 जिलों में पेयजल और औद्योगिक जरूरतों के लिए पानी उपलब्ध कराने के अलावा दोनों राज्यों में 2.8 लाख हैक्टेयर क्षेत्र (या इससे अधिक) (कुल 5.6 लाख हैक्टेयर या इससे अधिक) में सिंचाई सुविधा प्रदान करने का प्रस्ताव करती है। इसमें राज्यों के रास्ते में पड़ने वाले तालाबों की पूर्ति भी शामिल है।
संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना चंबल बेसिन के उपलब्ध जल संसाधनों का किफायती और आर्थिक रूप से उपयोग करने में मदद करेगी।
लोकसभा चुनावों और उससे पहले विधानसभा चुनाव में ईआरसीपी कांग्रेस का सबसे बड़ा मुद्दा था लेकिन बीजेपी ने नया MoU करके यह मुद्दा कांग्रेस से हाईजेक कर लिया। जिस ERCP को लेकर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस लगातार बीजेपी पर परियोजना अटकाने के आरोप लगा रही थी, उसी मुद्दे को लेकर बीजेपी एमपी के साथ समाधान के स्तर तक पहुंचने का दावा कर रही है।
पानी को लेकर सियासत कोई नई बात नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के समय नदी जोड़ो कार्यक्रम को कांग्रेस सरकार ने डंप कर दिया था। यही कांग्रेस के साथ भी हुआ। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ईआरसीपी की डीपीआर तैयार करवाई। इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को 14 बार पत्र भी लिखे, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया। अब राजस्थान और एमपी में बीजेपी की सरकार है और नए सिरे से MoU भी कर लिया गया है। अब आज प्रधानमंत्री मोदी परियोजना को लेकर बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
इस योजना का लाभ एमपी के भिंड, मुरैना, ग्वालियर सहित कई जिलों को मिलेगा। यह योजना न केवल पेयजल अथवा औद्योगिक पूर्ति भी करेगी। इसके लिए मध्यप्रदेश में 7 डैम बनेंगे।
एमपी से MoU होने के बाद राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने बयान दिया था कि जब से राजस्थान में हमारी सरकार बनी है, तब से मैं मोहन यादव से लगातार संपर्क में था। मैंने मोहनजी से निवेदन भी किया की यह योजना राजस्थान और मध्यप्रदेश के लिए बहुत ही आवश्यक है। इससे राजस्थान के 13 जिलों को काफी लाभ मिलेगा, इससे 13 लाख 80 हजार हैक्टेयर भूमि की सिंचाई भी होगी और 13 जिलों को पानी भी मिलेगा।
जनवरी 2024 में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) का नाम बदलकर पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना कर दिया। पीकेसी-ईआरसीपी में चंबल और इसकी सहायक नदियां पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी और मेज शामिल हैं।
पूर्वी राजस्थान में जलसंकट होगा खत्म
यदि यह प्रोजेक्ट धरातल पर उतर जाता है तो पानी का संकट झेल रहे पूर्वी राजस्थान यह बड़ा बदलाव लाने वाली परियोजना साबित होगी। राजस्थान के झालावाड़, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, गंगापुर, दौसा, करौली, भरतपुर, अलवर समेत 21 नवगठित जिलों और मध्यप्रदेश में गुना, शिवपुरी, श्योपुर, सीहोर, शाजापुर, राजगढ़, उज्जैन, मंदसौर, मुरैना, रतलाम, ग्वालियर आदि जिलों में इस परियोजना से पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। इसी ईआरसीपी को लेकर पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने भी काम शुरू किया था।
पहला बांध कालीसिंध पर तैयार
योजना के तहत राजस्थान के कोटा जिले की पीपल्दा विधानसभा में कालीसिंध नदी पर पहला नोनेरा एबरा बांध शुरू हो चुका है। जल संसाधन विभाग ने 8 से 12 सितंबर तक इस बांध में पानी का भराव करके गेटों की टेस्टिंग की थी। इसके बाद इस बांध को शुरू कर दिया गया था। ईआरसीपी प्रोजेक्ट के तहत हाड़ौती की नदियों के सरप्लस पानी को 170 किलोमीटर दूर तक ले जाया जाना है। इसके लिए पंपिंग, ग्रेविटी चैनल एस्कैप, ग्रेविटी फीडर, कैनाल, सुरंग और पानी के लिए पुलिया बनेगी।
कांग्रेस राज में कितना आगे बढ़ी थी योजना
ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने के लिए सीएम अशोक गहलोत ने 14 बार पीएम को चिट्ठी लिखी लेकिन कोई जवाब नहीं आया। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने 9 बार राजस्थान के साथ बैठक बुलाई लेकिन बैठकों में एक बार भी ना तो कांग्रेस के मंत्री और ना ही अधिकारी पहुंचे।
पिछली सरकार में परियोजना की डीपीआर के मुताबिक लागत 37247 करोड़ है, जिससे राजस्थान के 26 बड़े और मध्यम आकार की सिंचाई परियोजनाएं इससे लाभांवित होंगी। कमांड एरिया में 2 लाख हैक्टैयर की नई भूमि शामिल होगी। परियोजना में 246 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी को दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रीय कॉरिडोर में आने वाले उद्योगों के लिए रिजर्व रखा जाएगा।
प्रोजेक्ट में 6 बराज बनाए जाने हैं। इसमें बारां में कुन्नू, महलपुर और रामगढ़ बराज, कोटा में नवनेरा बराज, मेज बराज बूंदी में, राठौड़ बराज सवाई माधोपुर में तथा माधोपुर में ही डूंगरी बांध प्रस्तावित हैं।
अब तक क्या और कितना काम हुआ
प्रोजेक्ट के दायरे में आने वाले नवनेरा बराज और ईसरदा बराज का 86% व 75% काम पूरा किया जा चुका है। जुलाई 2023 तक इस परियोजना पर 1536 करोड़ रुपये का व्यय हो चुका था। 2022-23 के बजट में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस प्रोजेक्ट के लिए 9600 करोड़ रुपये व 2023-24 के बजट में 13 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान रखा था।
रामगढ़ बांध को ईसरदा बांध से भरने की घोषणा भी पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत चुके थे साथ ही इसके लिए आने वाले सालों में प्रस्तावित कामों का खाका भी तैयार हो चुका था। जिनमें
1. रामगढ़ बराज(670 करोड़)
2. महलपुर बराज (2355 करोड़)
3. बीसलपुर बांध की ऊंचाई 0.5 मीटर बढ़ाना (232 करोड़)
4.रामगढ़-महलपुर-नवरेना-गलवा-बीसलपुर-इसरदा लिंक (9641 करोड़)
5. रामगढ़-महलपुर-एनजीबीआई लिंग प्रोजेक्ट के लिए 14200 करोड़ रुपये की डीपीआर को ईआरसीपीसी बोर्ड ने मंजूरी दे दी थी।
बहरहाल भाजपा भी इसी आधार पर काम आगे बढ़ा रही है। योजना के अनुसार इस मॉडल को हाईब्रिड एन्यूटी के आधार पर तैयार किया जाएगा जिसके लिए वित्त विभाग की सैद्धांतिक स्वीकृति भी मिल गई है। इसमें 10254 करोड़ रुपये की तकनीकी स्वीकृति भी जारी कर दी गई है।