राजस्थान। जयपुर राजस्थान की सियासत में फोन टैपिंग का भूत एक बार फिर से लौट आया है। पिछली सरकार में कांग्रेस इससे पीड़ित थी, अब बीजेपी पीड़ित हो गई है। राजनीतिक इतिहास में ऐसे आरोप अक्सर लगाए जाते रहे हैं, लेकिन कभी कोई ठोस सबूत नहीं मिले।
कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के फोन टैपिंग के आरोप के बाद गुरुवार को विधानसभा में भाजपा सरकार पूरी तरह घिरती नजर आई। सदन में जोरदार हंगामा हुआ। अब कांग्रेस के हाथ सबसे बड़ा मुद्दा लग चुका है। इसका असर पूरे बजट सत्र में नजर आने वाला है। क्या इस सियासी हंगामे का कोई नतीजा निकलेगा ये बड़ा सवाल है? क्योंकि इतिहास गवाह है कि फोन टैपिंग का आरोप एक रानीतिक हथियार है... आरोप लगते रहते हैं, सरकारें घिरती रहीं, लेकिन ये कभी साबित नहीं हो पाया। फोन टैपिंग के राजनीतिक तूफान पहले कांग्रेस पीड़ित रही, अब बीजेपी भी पीड़ित हो गई है। राजस्थान के मंत्री ने अपनी सरकार पर उनकी जासूसी करने का आरोप लगाया है। इस आरोप के बाद राजस्थान विधानसभा भारी हंगामा हुआ। साथ ही देश की राजनीति में फोन टैपिंग को लेकर हुई घटनाओं की भी याद दिला दी। आखिर फोन टैपिंग देश की राजनीति में बड़ा सियासी हथियार कैसे बन गया? कब-कब और कहां-कहा फोन टैपिंग को लेकर सियासत हुई है। सब कुछ जानिए इस रिपोर्ट में...
बात सबसे पहले राजस्थान की
राजस्थान में कैबिनेट मंत्री हैं किरोड़ी लाल मीणा। विवादों में हैं। आरोप लगाते हैं कि भाजपा सरकार भी कांग्रेस सरकार की तरह चल रही है। बीजेपी सरकार में भष्टाचार चरम पर है। इसके वो खिलाफ हैं। नौकरियों की भर्ती में घोटाले हो रहे हैं। जिसकी जांच की मांग वो कर रहे हैं, लेकिन सरकार सुन नहीं रही है, बल्कि उनकी ही जासूसी कर रही है। इन सब आरोपों पर वो पिछले दिनों और मुखर हो गए। विधानसभा के सत्र में स्वास्थ्य कारणों के चलते वो हिस्सा नहीं ले रहे हैं। हालांकि जयपुर के पास एक सभा में उन्होंने अपने ऊपर हो रही जासूसी का खुलासा किया है। इसी के बाद विधानसभा के अंदर हंगामा हो गया। कांग्रेस ने सीएम भजन लाल के इस्तीफे की मांग भी की है, क्योंकि सीएम के पास ही गृहमंत्री का प्रभार है। इस्तीफा मांगने वाली कांग्रेस ये भूल गई कि गहलोत सरकार के समय फोन टैपिंग कांड हुआ था। पिछली कांग्रेस सरकार में यही आरोप भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर लगाए थे, जो अब मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर लग रहे हैं।
पिछली विधानसभा में यही आरोप कांग्रेस पर बीजेपी ने लगाए
17 मार्च 2021 को ठीक ऐसे ही आरोप प्रतिपक्ष के रूप में बीजेपी ने सत्तापक्ष की कांग्रेस सरकार पर लगाए थे। कांग्रेस के तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ गहलोत सरकार से बगावत कर दी थी। इस दौरान गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा की तरफ से मीडिया में एक ऑडियो टेप वायरल किया गया, जिसमें कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा की बातचीत कथित रूप से गजेंद्र सिंह शेखावत से हो रही थी। इसमें गहलोत की सरकार गिराने को लेकर चर्चा थी। भंवरलाल शर्मा उस वक्त सचिन पायलट के साथ मानेसर में बैठे थे। इस ऑडियो टेप के सामने आने के बाद राजस्थान के तत्कालीन पीएचईडी मंत्री महेश जोशी ने एससीबी में एफआईआर करवाई थी। एसीबी में फोन टैपिंग के आधार पर चार एफआईआर (47/2020, 48/2020, 49/2020, 129/2020) दर्ज हुई।
इसके साथ ही ऑडियो टेप आने के बाद मानेसर की बाड़ाबंदी भी टूट गई। करीब 35 दिनों तक चली बाड़ाबंदी खत्म होने के बाद जब विधानसभा का सत्र आया तो बीजेपी ने सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप सदन में लगाए। बीजेपी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनियां ने सदन में इसके लिए स्थगन प्रस्ताव लगाया। जिस पर सरकार की तरफ से यूडीएच मंत्री रहे शांति धारीवाल ने जवाब पेश किया था।
17 मार्च 2021 राजस्थान विधानसभा में फोन टैपिंग पर बहस के अंश
विधानसभा में फोन टैपिंग पर भाजपा ने प्रतिपक्ष में रहते हुए स्थगन प्रस्ताव लगाया। बीजेपी ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाए गए कि सीएमआर में बैठकर अवैध तरीके से फोन टैपिंग की जा रही है। सदन में राठौड़ ने बताया कि यह ऑडियो क्लिप 9829620202 नंबर से वायरल की गई जो तत्कालीन सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा का बताया गया। हालांकि बाद में लोकेश शर्मा फोन टैपिंग मामले में सरकारी गवाह बन गए और प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि गहलोत ने ही फोन टैपिंग की क्लिप उन्हें वायरल करने के लिए दी थी। इस पर धारीवाल बोले कि इसका बर्डन ऑफ प्रूफ आप पर है।
जांच सीबीआई से करवाए जाने की मांग
इस स्थगन प्रस्ताव में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने फोन टैपिंग प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाए जाने की मांग रखी। राठौड़ ने कहा कि फोन टैपिंग को लेकर तत्कालीन सरकार ने 17 मार्च 2020 को सचिन पायलट सहित 16 कांग्रेसी विधायकों वाइस टेस्ट के नोटिस दिए थे। सदन में तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि इन एफआईआर का आधार ऑडियो क्लिप है, जिसमें सरकार को गिराने का षडयंत्र किया जा रहा है। उन्होंने सदन में बीजेपी विधायकों से कहा कि एक काम कर दो, इसकी असलियत पता लग जाएगी। गजेंद्र सिंह जी को बुलाकर वॉइस रिकॉर्ड करवा दो। इतने से बिंदु पर सारा काम खत्म हो जाएगा। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
धारीवाल ने दिया था ये जवाब
मुख्य सचिव की कमेटी इंटरसेप्शन संबंधी प्रकरणों की समीक्षा की जाती है। उन्होंने कहा कि इंटरसेप्शन में एक व्यक्ति गजेंद्र सिंह का नाम है, जो संजय जैन के साथ सरकार गिराने का षडयंत्र कर रहे हैं। बहस पर सरकार के जवाब के बाद बीजेपी विधायकों ने सदन से वाकआउट किया था।
रामकृष्ण हेगड़े की सरकार को फोन टैपिंग पर देना पड़ा था इस्तीफा
फोन टैपिंग का तूफान देश में सियासत में जब भी आया है उसका असर लंबे समय तक चला है। साल 1988 में कर्नाटक में रामकृष्ण हेगड़े की सरकार में फोन टैपिंग का मामला सामने आया, जिसके कारण मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े ने इस्तीफा दे दिया था।
जासूसी के आरोप में चंद्रशेखर की सरकार गई
जासूसी के आरोपों के चलते चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री पद से इस्तफा देना पड़ा था। उन पर राजीव गांधी की जासूसी करवाने का आरोप लगा था। चंद्रशेखर कांग्रेस के सपोर्ट से प्रधानमंत्री बने थे। कांग्रेस की ओर से आरोप लगाए गए कि चंद्रशेखर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जासूसी कराई। इन्हीं आरोपों के चलते कांग्रेस नेतृत्व ने चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। जैसे ही सरकार अल्पमत में आई तो चंद्रशेखर ने बिना देर किए पीएम पद से इस्तीफा दे दिया।
ये हैं फोन टैपिंग के लिए नियम
राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को भारतीय टेलीग्राफिक अधिनियम, 1885 की धारा 5 (2) के तहत फोन टैप करने का अधिकार है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार को जब जांच की आवश्यकता होती है तब फोन टैप होते हैं। ऐसे में न्यायिक प्रक्रिया के प्राधिकरण या एजेंसी उस व्यक्ति की बातचीत रिकॉर्ड करती है, जो संदेह के दायरे में है। नियम के अनुसार राजनीतिक नेताओं की टेलीफोनिक बातचीत को आधिकारिक तौर पर टैप नहीं किया जा सकता है।
क्या है इनकी राय
कांग्रेस जो हल्ला कर रही है उसका प्रूफ कुछ भी नहीं
पूर्व उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि मैंने पिछली सरकार में फोन टैपिंग को लेकर विधानसभा में स्थगन लगाया था। इस बार कांग्रेस जो हल्ला कर रही है उसका प्रूफ कुछ भी नहीं है, जबकि पिछली बार मैंने जो आरोप लगाए थे वह प्रमाणित थे। तत्कालीन सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा ने दिल्ली में कनफेस भी किया है कि सरकार ने फोन टैपिंग करवाई थी।
सत्ता इसका दुरुपयोग करती है
मामले में वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भंडारी का कहना है कि सत्ता इसका दुरुपयोग करती है। फोन टैपिंग के प्रावधान हैं पर इसमें कुछ होता-जाता नहीं है। इसको साबित करना बड़ा मुश्किल है। हेगड़े की सरकार भी इसलिए चली गई थी, लेकिन उसके लिए फोन टैपिंग से ज्यादा तत्कालीन राजनीति परिस्थितयां जिम्मेदार थीं।