नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के वरिष्ठ पद एडमिरल्स के एपॉलेट्स का नया डिजाइन जारी किया है। एपॉलेट्स एक अधिकारी के कंधे पर पहनाए जाने वाली रैंक को कहा जाता है। नया एपॉलेट्स छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत से प्रेरित है।
बता दें, हाल में ही पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि जल्द ही नौसेना के नए रैंक्स और एपॉलेट्स की घोषणा की जाएगी और पीएम की घोषणा के साढ़े तीन सप्ताह बाद ही नौसेना ने नए एपॉलेट्स जारी कर दिए। एक साल पहले पीएम मोदी ने नौसेना के नए ध्वज का भी अनावरण किया था। नया ध्वज भी शिवाजी महाराज से ही प्रेरित था।
शिवाजी की राजमुद्रा से प्रेरित है एपॉलेट्स
मुंबई के सिंधुदुर्ग में शुक्रवार को नौसेना ने कार्यक्रम आयोजित किया था, जहां नए एपॉलेट्स जारी किए गए। इस दौरान बताया गया कि नया डिजाइन नौसेना के ध्वज से लिया गया है, जो शिवाजी महाराज की राजमुद्रा से प्रेरित है। यह हमारी समृद्ध समुद्री विरासत का सच्चा प्रतिबिंब है।
जानें कैसा है नया एपॉलेट्स-
सबसे ऊपर नौसेना का एक बटन, जो सुनहरे रंग का है।
इसके नीचे लाल रंग के बैकग्राउंड पर अशोक स्तंभ स्थापित है।
इसके नीचे एक तलवार और दूरबीन है, जो एक-दूसरे को क्रॉस कर रहे हैं।
इसके बाद रैंक के अनुसार, सितारे लगाए गए हैं।
एपॉलेट्स में इस्तेमाल किए गए प्रतीकों का मतलब
नौसेना का कहना है कि सुनहरा बटन गुलामी की मानसिकता को खत्म करता है। वहीं, इस बार सितारे को अष्टकोण डिजाइन में तैयार किया गया है। जो आठ प्रमुख दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब नौसेना ने क्रॉस बैटन की जगह क्रॉस दूरबीन और तलवार का इस्तेमाल किया है। तलवार का संदेश है कि हमें राष्ट्रीय शक्ति में अग्रणी होना है। हमें युद्ध जीतना है। हमें विरोधियों को हराना है। हमें हर चुनौतियों पर काबू पाना है। वहीं, दूरबीन दीर्घकालिक दृष्टि और दूरदर्शिता का प्रतीक है।
एडमिरल में तीन रैंकें शामिल हैं-
रियर एडमिरल (दो सितारा)
वाइस एडमिरल (तीन सितारा)
एडमिरल (चार सितारा)
प्रतीक चिह्न के मायने
नौसेना के अफसरों ने ने नए प्रतीक चिह्न के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसमें शामिल सुनहरा बटन गुलामी की मानसिकता को दूर करने के संकल्प को दोहराता है। अष्टकोणीय आकृति आठ दिशाओं का प्रतीक है, जो सेना की सर्वांगीण दीर्घकालिक दृष्टि को दर्शाता है। तलवार देश की शक्ति में अग्रणी बनने और प्रभुत्व के जरिये जंग जीतने, विरोधियों को हराने और हर चुनौती पर काबू पाने के नौसेना के उद्देश्य को दिखाती है। दूरबीन बदलती दुनिया में दूरदर्शिता और मौसम पर नजर रखने का प्रतीक है।
ऐसी थी शिवाजी की राजमुद्रा
छत्रपति शिवाजी अपने पत्रों और अध्यादेशों में जिस मुद्रा चिह्न का उपयोग करते थे वह अष्टकोणीय थी। बताया जाता है कि शिवाजी महाराज को यह राजमुद्रा उनके पिता शाहजीराजे भोसले ने दी थी। इस मुद्रा पर लिखा है, प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववन्दिता। शाहसूनोः शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते। यानी, प्रतिपदा के चंद्रमा की तरह बढ़ने वाली और पूरे विश्व में वंदनीय, शाहजी के पुत्र शिवाजी की, यह मुद्रा लोक कल्याण के लिए ही विराजमान है।