नई दिल्ली । मधुमेह, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, पेट की गैस, विटामिन डी-3 और संक्रमण की 135 दवाएं मानकों पर सही नहीं पाई गई हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश में बनी 38 दवाएं भी शामिल हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने दिसंबर में दवाओं के सैंपल लिए थे।
केंद्रीय प्रयोगशालाओं ने 51 और राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं ने 84 दवाओं के नमूनों को मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाया। तीन महीने में अमानक दवाओं की कुल संख्या 336 हो गई है। हिमाचल के दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने बताया कि कंपनियों को नोटिस जारी कर स्टॉक वापस मंगवाया गया है। लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। ब्यूरो
खराब गुणवत्ता वाली प्रमुख दवाएं
इन दवाओं में जन औषधि केंद्रों को दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवा-सेफपोडोक्साइम टैबलेट आईपी 200-एमजी, डाइवलप्रोएक्स एक्सटेंडेड-रिलीज टैबलेट, मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोर आईडीई टैबलेट, जिंक सल्फेट टैबलेट, मेटफॉर्मिन टैबलेट 500 एमजी, एमोक्सीमून सीवी-625, पैरासिटामोल 500 एमजी शामिल हैं।
साथ ही, सीएमजी बायोटेक की बीटाहिस्टाइन, सिपला की ओकामैट, एडमैड फार्मा की पेंटाप्राजोल, वेडएसपी फार्मा की अमोक्सीसिलिन, शमश्री लाइफ साइंसेस का मैरोपेनम इंजेक्शन-500, ओरिसन फार्मा की टेल्मीसार्टन, मार्टिन एंड ब्राउन कंपनी की एल्बेंडाजोल शामिल हैं।