नई दिल्ली। जर्नल कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद, पश्चिमी एयरलाइनों को रूस के ऊपर से उड़ान भरने पर प्रतिबंधित कर दिया गया।
इस कारण उन्हें यूरोप, उत्तरी अमेरिका या पूर्वी एशिया के बीच लंबे मार्ग पर उड़ान भरने के लिए मजबूर होना पड़ा।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध 1945 के बाद का सबसे विनाशकारी संघर्ष है। सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं पर पड़े असर के अलावा वर्ष 2023 में दुनिया भर में विमानों से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में एक फीसदी की वृद्धि हुई क्योंकि विमानों को रूसी हवाई क्षेत्र से बचने के लिए लंबा रास्ता अपनाना पड़ा था। यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन में सामने आई है।
जर्नल कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद, पश्चिमी एयरलाइनों को रूस के ऊपर से उड़ान भरने पर प्रतिबंधित कर दिया गया। इस कारण उन्हें यूरोप, उत्तरी अमेरिका या पूर्वी एशिया के बीच लंबे मार्ग पर उड़ान भरने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसकी वजह से अधिक ईंधन की खपत हुई। औसतन 13 फीसदी अधिक ईंधन का उपयोग करना पड़ा। यूरोप और एशिया के बीच चलने वाली उड़ानों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ा। इनमें ईंधन की खपत में 14.8 फीसदी वृद्धि हुई। जबकि उत्तरी अमेरिका और एशिया के बीच उड़ानों में 9.8 फीसदी अधिक ईंधन खर्च हुआ।
पर्यावरण पर भी हुआ असर
आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी परिणामों के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के पर्यावरणीय प्रभाव भी गंभीर हैं। इसके पारिस्थितिक तंत्र पर भी दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं। युद्ध के दौरान हजारों टन विस्फोट हुए और आग लगी जिससे वायुमंडल में भारी उत्सर्जन हुआ। रूस-यूक्रेन युद्ध के फैलने के बाद से वर्ष 2023 की तुलना में 2024 के दौरान जंगल की आग के कुल क्षेत्र में 45 गुना वृद्धि हुई है। इसकी वजह से लगभग 18 करोड़ टन उत्सर्जन हुआ है । 1,20,789 विस्फोटक और 1978 विमान बमों ने भी पानी और मिट्टी को दूषित किया है।
प्रतिदिन 1,100 उड़ानें प्रभावित
अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता प्रोफेसर निकोलस बेलौइन का कहना है कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद एयरलाइंस को अपने मार्ग में बदलाव करना पड़ा। इसकी वजह से पश्चिमी देशों और पूर्वी एशिया के बीच उड़ानें कम हो गईं। समय के साथ उड़ानें फिर से शुरू हुईं, लेकिन उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा लंबी दूरी के चक्कर लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। प्रतिबंधों की वजह से इन्हें रूस के दक्षिण या आर्कटिक के ऊपर से भी उड़ान भरनी पड़ी। इससे हर दिन करीब 1,100 उड़ानें प्रभावित हुईं।
स्वास्थ्य सेवा भी गंभीर रूप से प्रभावित
अध्ययन के अनुसार युद्ध ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है। यूक्रेन में युद्ध के कारण सैकड़ों नैदानिक परीक्षण रुक गए हैं, जिससे रोगियों के लिए उपचार बाधित हुआ है और अनुसंधान में बाधा आई है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या यूक्रेन की आबादी का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है। इनमें लगभग 6.5 मिलियन आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति और लगभग 3.5 मिलियन शरणार्थी शामिल हैं जो देश छोड़कर भाग गए हैं। शरणार्थियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।