उष्णकटिबंधीय मौसम पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव हो रहे हैं, जिसके कारण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हीटवेव और भारी वर्षा जैसी चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति बढ़ रही है। ये परिवर्तन अन्य कारकों के अलावा ग्लोबल वार्मिंग से प्रेरित हैं। नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्रवृत्ति बनाम बदलाव को अलग करने वाले पहले अध्ययनों में से एक है।
इसके लिए शोधकर्ताओं ने एक नई पद्धति का उपयोग किया है, जो वायुमंडलीय एनालॉग का उपयोग करके मौसम के पैटर्न में होने वाले बदलावों का पता लगाती है। इसकी वजह से चरम घटनाओं के साथ उनके संबंधों का सीधे अध्ययन करना संभव हो जाता है, जो पहले असंभव था।
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों का अध्यन
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में उष्णकटिबंधीय हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विकसित होती मौसम संबंधी प्रणालियों का विश्लेषण करने के लिए नए तथा दोबारा विश्लेषण किए गए डेटासेट का उपयोग किया गया है। अध्ययन से पता चलता है कि बड़े पैमाने पर के मौसम के नए पैटर्न तेज प्रशांत खतरनाक परिसंचरण के रूप में सामने आ रहे हैं। ये दक्षिण-पूर्व एशिया में नमी तथा गर्म परिस्थितियों और भूमध्यरेखीय प्रशांत में शुष्क परिस्थितियों से जुड़े हैं।
1990 से पहले दुर्लभ मौसम का पैटर्न
1990 के दशक से पहले दुर्लभ मौसम पैटर्न अधिक आम हो गए हैं, जबकि कुछ अन्य जो कभी प्रमुख थे लगभग गायब हो गए हैं। ये परिवर्तन पैसिफिक वॉकर सर्कुलेशन में बदलाव से जुड़े हैं, जो उष्णकटिबंधीय मौसम और जलवायु में बदलाव के लिए जाना जाने वाला प्रमुख कारण है। इसके तहत भविष्य में होने वाले बदलाव वर्तमान जलवायु मॉडल में अत्यधिक अनिश्चित हैं।
जलवायु अनुमानों में तत्काल सुधार की आवश्यकता
शोधकर्ता के अनुसार मौसम के पैटर्न में लगातार हो रहा है यह बदलाव उष्णकटिबंधीय इलाकों में तेजी से हो रहे बदलावों की हमारी पिछली समझ को चुनौती देता है और कमजोर क्षेत्रों में चरम घटनाओं के लिए जलवायु अनुमानों और तैयारियों में सुधार करने की तत्काल जरूरत को सामने लाता है। दक्षिण-पूर्व एशिया में चरम मौसम पर शोध अपेक्षाकृत न के बराबर हैं तथा नीति निर्माताओं और स्थानीय समुदायों को बदलती जलवायु के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए और अधिक प्रयासों की जरूरत है।
हीटवेव और अत्यधिक बारिश बढ़ा रहे हैं मौसम के नए पैटर्न
उष्णकटिबंधीय मौसम के नए पैटर्न उष्णकटिबंधीय हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हीटवेव और अत्यधिक बारिश को काफी हद तक बढ़ा रहे हैं। इसका सीधा असर करोड़ों लोगों की जीवन शैली पर पड़ रहा है। हीटवेव की बढ़ती घटनाओं के कारण बिजली की मांग बढ़ती है और इस वजह से सामान्य आपूर्ति प्रभावित होती है, जिसके कारण अधिकतर क्षेत्रों में बिजली की कटौती होती है।
इसी तरह बगैर पूर्वानुमान के अचानक अत्यधिक बारिश होने से एकाएक बाढ़ आ जाती है और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ती हैं। इससे मानव जीवन, इमारतों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान होता है। पीने योग्य पानी दूषित हो जाता है जो गर्मी से संबंधित कई गंभीर बीमारियां की वजह बनता है और फसलों के नुकसान से खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा होता है।