मुंबई । मुंबई अपराध शाखा के मादक पादर्थ रोधी प्रकोष्ठ (एंटी नारकोटिक्स सेल) ने सोमवार को कई स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया। साथ ही 2.22 करोड़ की कीमत का मेफेड्रोन जब्त किया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एंटी नारकोटिक्सक सेल (एएनसी) की बांद्रा इकाई ने विशेष अभियान चलाया। इसके तहत ग्रांट रोड, मझगांव, नागपाड़ा और अग्रीपाड़ा में छापेमारी की गई। इसके बाद 1.02 करोड़ की कीमत का मेफेड्रोन जब्त किया गया और सात लोगों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें 31 जनवरी तक पुलिस हिरास में भेज दिया गया है। जांच में पता चला है कि इस सिंडिकेट को चलाने वाला व्यक्ति विदेश में रहता है।
इसके बाद एएनसी की वर्ली इकाई ने सांताक्रूज ईस्ट और कॉटन ग्रीन इलाके में छापेमारी की। इस दौरान 20 लाख रुपये की कीमत का 100 ग्राम मेफेड्रोन जब्त किया गया। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि इससे पहले एएनसी की आजादी मैदान इकाई ने भी छापेमारी की थी और बायकुला से बुधवार पच्चीस वर्षीय मोइनुद्दीन मोहम्मद जुबेर को गिरफ्तार किया था। जुबेर पिछले साल से फरार था। उसके पास से तीन किलोग्राम से ज्यादा मेफेड्रोन जब्त किया गया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह ठाणे, राजस्थान और गुजरात में ठहरा था। उसने अपनी पहचान भी बदल ली थी।
एएनसी की घाटकोपर इकाई ने 201 में जोगेश्वरी में एक ड्रग सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया था तब 52 लाख की कीमत का 260 ग्राम मेफेड्रोन जब्त किया गया था। उस मामले में 34 वर्षीय जुनैद फिदा हुसैन कुरैशी को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में मुख्य आरोपी को बुधवार को गिरफ्तार किया गया था। वह नवी मुंबई और नासिक सहित विभिन्न स्थानों पर मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल था।
फ्रेम-अप रैकेट: मुंबई में वार्ड ब्वॉय समेत चार गिरफ्तार
पुलिस ने मुंबई एक सरकारी अस्पताल के वार्ड ब्वॉय समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने अपने ग्राहकों को चिकित्सा दस्तावेज हासिल करने में मदद करने के लिए अस्थायी रूप से उन्हें चोट पहुंचाने के लिए अपने ज्ञान का इस्तेमाल किया। ताकि वे अपने दुश्मनों को फंसाने के लिए प्राथमिकी दर्ज कर सकें। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया, मुख्य आरोप वासु थोम्ब्रे ने मोडस विधि का इस्तेमाल किया। जिसमें वह अपने ग्राहक की एक उंगली को जहर से भरा इंजेक्शन देने से पहले उसे तोड़ देता था। इसके बाद ग्राहक उंगली की चोट का जिक्र करने वाले चिकित्सा दस्तावेज हासिल करने के लिए अस्पताल के डॉक्टरों के पास जाते थे। उन्होंने बताया कि घायल व्यक्ति तब पुलिस से संपर्क करता था और उन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराता था।