लखनऊ। बुंदेलखंड की चारों सीट पर उम्मीद से कम मतदान हुआ है। अलग- अलग इलाके में कहीं सुबह से ही लाइन लगे रहने और कहीं सन्नाटा होने से उम्मीदवारों की धुकधुकी बढ़ गई है। ऐसे में हार-जीत का आंकड़ा बेहद कम होने के साथ ही सियासी समीकरण बदलने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
झांसी लोकसभा क्षेत्र में पिछली बार 67.68 फीसदी मदतान हुआ था, जिसमें भाजपा को 58.61 और सपा-बसपा और कांग्रेस को मिलाकर 38.36 फीसदी वोट मिला था। इस बार यह आंकड़ा 63.70 फीसदी पर ही अटक गया है। अच्छी बात यह है कि यहां के तीन बूथ पर शत प्रतिशत मतदान हुआ है।
बांदा में 2019 में 60.81 फीसदी मतदान हुए, जिसमें भाजपा 46 फीसदी और सपा-बसपा और कांग्रेस को 47.32 फीसदी वोट मिला था। इस बार 59.64 फीसदी मतदान हुआ है। खास बात यह है कि बांदा में मुस्लिम बहुल इलाके के बूथ पर सुबह से ही भीड़ देखी गई, लेकिन ब्राह्मण बहुल इलाके में उत्साह की कमी रही।
इसे लेकर तरह- तरह की चर्चाएं हैं। हमीरपुर में पिछड़ी बार 62.32 फीसदी की अपेक्षा इस बार 60.56 फीसदी मतदान हुआ है। यहां राठ में 63.05 फीसदी और महोबा में 60.08 फीसदी मतदान हुआ है।
दोनों ही क्षेत्र में लोध मतदाता निर्णायक हैं। जालौन में 58.49 की अपेक्षा इस बार 56.15 फीसदी मतदान हुआ है। माधौगढ़ विधानसभामें सिर्फ 52.80 फीसदी मतदान हुआ है। यह क्षत्रिय बहुल इलाका है।
पूर्वांचल का चुनावी मिजाज जानेंगे लविवि के विद्यार्थी
लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के विद्यार्थी पूर्वांचल के राजनीतिक समीकरणों को समझेंगे। इसके लिए विद्यार्थियों का एक दल शिक्षकों के निर्देशन में पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा करेगा और एक रिपोर्ट तैयार करेगा। यह रिपोर्ट विश्वविद्यालय को सीलबंद लिफाफे में सौंपी जाएगी।
कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में मंगलवार को राजनीति विज्ञान विभाग की विभागीय समिति की बैठक हुई। इसमें एक विस्तृत योजना तैयार की गई। पांच शिक्षकों व चार शोधकर्ताओं की एक टीम, जो अन्य शोधकर्ताओं के समूह नेताओं के रूप में प्रतिनिधित्व करेगी, 25 से 27 मई तक पूर्वी प्रदेश के जिलों का दौरा करेगी।
इन जिलों में वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, गाजीपुर आदि शामिल होंगे। प्रवक्ता प्रो. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि विद्यार्थियों को इससे राजनीतिक परिदृश्य को समझने और जनता के मूड को प्रत्यक्ष रूप से समझने का अवसर मिलेगा। अपने अध्ययन के दौरान शोधार्थी प्रश्नावली के माध्यम से जनता का मिजाज परखेंगे।