नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार बिहार में नीट यूजी परीक्षा की गड़बड़ी स्थानीय स्तर पर हुई है। प्रश्न-पत्र डार्कनेट या सोशल मीडिया पर होता तो उसका असर देशभर में पड़ता। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि परीक्षा में गड़बड़ी की जिम्मेदारी मंत्रालय की है।
मंत्रालय अभ्यर्थियों और अभिभावकों को विश्वास दिलाना चाहता है कि किसी भी योग्य विद्यार्थी के साथ धोखा नहीं होगा।
इस बीच शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) में बड़े स्तर पर सुधार, पारदर्शिता और बदलाव होगा। परीक्षा में किसी भी स्तर पर गड़बड़ी की शून्य गुंजाइश भी नहीं रहेगी। थोड़ा सा समय दें, सीबीआई इस पूरे प्रकरण की तह तक जांच करेगी। दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलेगी। प्रधान ने कहा कि प्रश्न पत्र का प्रारूप बदला गया था। इसी कारण अब बड़े शहरों के साथ दूरदराज के छात्र भी मेरिट में अपनी मेहनत से पहुंच रहे हैं। प्रधान ने कहा कि सफल होने वाले 13 लाख छात्रों में से टॉप एक लाख छात्र दूरदराज, ग्रामीण और ब्लॉक स्तर से हैं। हमें उनकी मेहनत को देखना है, वे दोबारा परीक्षा नहीं चाहते हैं। सरकार के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले को देख रहा है।
शिक्षा मंत्री ने माना, कृपांक अंक देना सबसे बड़ी गलती...प्रधान ने माना एनटीए अधिकारियों ने नीट परीक्षा परिणाम तैयार करने बहुत बड़ी गलती की थी। परीक्षा में समय कम मिलने पर समय दिया जाना चाहिए था, न की कृपांक अंक। छह सेंटर पर 1,563 छात्रों ने समय कम मिलने की शिकायत की और एनटीए ने कमेटी बनाकर 2018 के अदालत के क्लैट परीक्षा के फैसले को आधार मानकर कृपांक अंक दे दिए। यह सबसे गलत हुआ था।
एनटीए अधिकारी परीक्षा को पारदर्शी बनाने में नाकाम रहे। प्रधान ने कहा कि एनटीए डीजी सुबोध कुमार सिंह को हटाने का फैसला रिपोर्ट के आधार पर लिया है। वे परीक्षा प्रक्रिया की गरिमा, पारदर्शिता और विश्वास बनाए रखने में नाकाम रहे थे। इसलिए उन्हें हटाया गया है।