शिमला। पर्यटन विकास निगम के सेवानिवृत्त पेंशनरों को वित्तीय लाभ न देने पर हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य के 40 प्रतिशत से कम ऑक्यूपेंसी वाले होटलों को 25 नवंबर तक बंद करने के सख्त आदेश दिए हैं। घाटे में चल रहे ऐसे होटलों की संख्या 18 है। अदालत ने कहा कि आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट प्रबंध निदेशक तीन दिसंबर को कोर्ट में पेश करें।
न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने कहा कि निगम को बार-बार आगाह करने पर भी सेवानिवृत्त पेंशनरों को ग्रेच्युटी, लीव इन कैशमेंट, कम्यूटेशन और अन्य वित्तीय लाभ नहीं दिए गए। इसी पर कोर्ट का यह कड़ा फैसला आया है। हाईकोर्ट में सरकार की ओर से प्रदेश के कुल 56 होटलों जैसे कश्मीर हाउस, फागू एप्पल ब्लाॅसम, किन्नर कैलाश, काजा, केलांग, खड़ापत्थर, हिडिंबा, कुंजम, मनाली, रोहतांग, नगरकासा, पांवटा, परवाणू, शिवालिक, चायल पैलेस, गीतांजलि, कुनाल, धर्मशाला, चंद्रभागा, केलांग, मेघदूत, क्यारीघाट और दकासल नगर जैसी संपत्तियों व होटलों का ब्योरा पेश किया, जिनकी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है।
अदालत ने निगम को सेवानिवृत्त कर्मचारियों, चतुर्थ श्रेणी और मृतक कर्मचारियों की सूची अगली सुनवाई को पेश करने को कहा, जिससे बकाया राशि निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और मृतक कर्मचारियों के परिवारों के सदस्यों के पक्ष में जारी की जा सके। कोर्ट ने साथ ही यह भी साफ किया है कि पर्यटन निगम को अपने शेष कर्मचारियों को स्थानांतरित करने की स्वतंत्रता होगी। अदालत ने 12 नवंबर के आदेश में निगम की ओर से संचालित पिछले तीन वर्षों में प्रत्येक इकाई की अर्जित आय की जानकारी न्यायालय में पेश करने को कहा था। सभी होटल के कमरों और रेस्तरां इकाइयों का विवरण न्यायालय को प्रस्तुत करने के भी आदेश दिए थे।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था- निगम होटलों को पार्टनरशिप या लीज पर चलाए
हाईकोर्ट ने 17 सितंबर के आदेशों में पर्यटन निगम को घाटे से उबरने के लिए कुछ सख्त नियम बनाने को कहा था। साथ ही कहा था कि अगर निगम पूरे प्रदेश में अपने होटलों को चलाने की स्थिति में नहीं है तो वह इनको पार्टनरशिप या लीज पर चलाए। इससे जहां प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं निगम की आय को भी बढ़ाया जाएगा।