नेटवर्क। कमजोर पश्चिम विक्षोभों के कारण पूरी जनवरी और अब फरवरी के शुरुआती 10 दिन भी सूखे ही रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार इस दौरान देश के 89 फीसदी जिलों में या तो बारिश बेहद कम हुई या बिल्कुल नहीं हुई।
अगर हालात ऐसे ही रहे तो रबी की फसल पर इसका गंभीर असर होगा।
उत्तर व मध्य भारत में सर्दियों की बारिश मुख्य रूप से पश्चिमी विक्षोभों के कारण होती है। ये विक्षोभ भूमध्य सागर से नमी लेकर ईरान, अफगानिस्तान व पाकिस्तान होते हुए उत्तरी भारत तक पहुंचते हैं। इस साल जनवरी में सामान्य से अधिक 7 पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुए, जबकि औसतन 5-6 होते हैं। इनमें से चार लगातार 16 से 23 जनवरी के बीच सक्रिय रहे। हालांकि ये पश्चिमी विक्षोभ प्रभावी नहीं रहे और पर्याप्त वर्षा नहीं हुई। मौसम विभाग के अनुसार इनमें पर्याप्त नमी नहीं होने से बारिश और बर्फबारी में भारी कमी आई। 9-13 जनवरी के बीच बना एकमात्र सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ ही कुछ हद तक प्रभावी रहा, जिससे दिल्ली समेत उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हुई।
पांच राज्य व यूपी के 21 जिलों में नहीं हुई बारिश
उत्तर प्रदेश के 75 में से 21 जिलों में बारिश नहीं हुई। इसके साथ ही पांच राज्यों तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा और मिजोरम में भी इस अवधि में िल्कुल भी वर्षा नहीं हुई। महाराष्ट्र में 36 में से 35 जिलों में कोई बारिश नहीं हुई। गुजरात, जो प्रमुख रबी फसल उत्पादक राज्यों में शामिल है, भी सूखे की चपेट में रहा। बिहार में भी स्थिति चिंताजनक रही और उसके 38 में से 32 जिलों में बारिश नहीं हुई और बाकी में बहुत कम वर्षा दर्ज की गई। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर भी इस सर्दी में सूखे से प्रभावित रहे। उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों में 60 से 99 फीसदी तक कम बारिश हुई।